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]]>1 – सूर्य हमारे जीवन-जगत का आधार है। सूर्य के बिना कोई भी भोग-उपभोग संभव नहीं है। अत: सूर्य के प्रति सम्मान या आभार प्रदर्शन के लिए छठ या सूर्य षष्ठी व्रत मनाया जाता है।
2 – हमारे जीवन में अतुलनीय योगदान देने वाले सूर्य की यह पूजा भी अतुलनीय है। एक स्वपाकी अल्पाहार विराम सहित लगभग ढाई दिन पूर्ण रूप से पवित्र निर्जला उपवास करना पड़ता है।
3 – सूर्य उन क्षेत्रों के लिए सबसे उपयोगी देव हैं, जहां खूब पानी है, जहां गंगा व अन्य नदियों का जाल बिछा है। सूर्य से हर जीवन कर्म के लिए ताप या ऊर्जा मांगना जरूरी हो जाता है।
4 – दुनिया में उगते-उभरते लोगों को पूजने की परंपरा है, लेकिन सनातन परंपरा कहती है, वही उगेगा, जो कभी डूबा है। अत: छठ में पहले डूबते और फिर उगते सूर्य की पूजा होती है।
5 – यह धार्मिक संतुलन का व्यावहारिक पर्व है। छठ में खास बात यह है कि व्रत करने वाला जब सूर्य से ताप मांगने घर से निकलता है, तो किसी जल-जलाशय-नदी के तट पर ही जाता है।
6 – छठ का मूल संकल्प… हे सूर्य देव, आपने अन्न, सब्जियां, फल, फूल, जल, दूध दिए, आपने जो भी दिया, हम वो सब आपको अर्पित कर रहे हैं, हम पर कृपा बनाए रखें।
7 – हे प्रभु, आप हमारी और हमारे लोगों की काया निरोग रखना, हम पर कृपा रखना, सक्षम बनाना प्रभु, फिर आएंगे हम ज्यादा सामग्री, तैयारी के साथ आपकी पूजा के लिए।
8 – हे प्रभु, आपका प्रकाश अत्यंत उज्ज्वल व पवित्र है, आप दाग से परे हो, अत: हमने भी स्वच्छता, पवित्रता से आपका व्रत करने का प्रयास किया है, कमी क्षमा करना, कृपा रखना प्रभु।
9 – हे सूर्य देव, आप जीव-जगत के पिता-स्वामी हो, लेकिन हमारे लिए ममता से परिपूर्ण रहना, आपका क्रोध नहीं, ममत्व चाहिए। आपकी ऊर्जा हमारी मां है, मैया या छठी मैया है।
10 – आज छठ के दिन हम सब मनुष्य आपके लिए एक घाट पर आ गए हैं, यहां कोई भेद नहीं है, न जाति, न धर्म, न गरीब, न अमीर। आप प्रसन्न हो और विश्व का कल्याण करो।
11 – छठ मगध-बिहार क्षेत्र से निकला सबसे बड़ा लोक पर्व है, इसका शास्त्रीय पक्ष किसी प्रामाणिक ग्रंथ में वर्णित नहीं, लेकिन यह विश्व में सूर्य पूजा का सबसे बड़ा पर्व है।
1 – छठ सामाजिक-आर्थिक एकता, सद्भाव का संदेश देने वाला अत्यंत उपयोगी लोकपर्व है। छठ के माहौल में कोई किसी से उसकी जाति नहीं पूछता, अमीरी-गरीबी नहीं देखता।
2 – छठ पर्व भेदभाव विरोधी पर्व है। पवित्रता का ध्यान रखते हुए छठ का व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। कोई भी पुरुष, कोई भी स्त्री। पूजा का सबके लिए एक ही विधान मान्य है।
3 – छठ सदियों से स्वच्छता-पवित्रता का संदेश देने वाला पर्व है। इसके बहाने जलाशयों और घाटों की सफाई हो जाती है। हर कोई इस व्रत की पवित्रता सुनिश्चित करने में लग जाता है।
4 – यह पर्व मितव्ययिता की सीख देता है। कम से कम सामग्री में भी पूजन संभव है। जो भी सामग्री स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो, उससे ही पूजा करो। भगवान को धन नहीं, भाव चाहिए।
5 – छठ पर्व गांवों की समाज मुखी या समाज केन्द्रित अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। हर अमीर-गरीब को (बार्टर इकोनॉमी) सामान के बदले सामान के वितरण के लिए प्रेरित करता है।
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