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नानी-दादी – agaadhworld http://agaadhworld.in Know the religion & rebuild the humanity Tue, 23 Apr 2024 05:03:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.8 http://agaadhworld.in/wp-content/uploads/2017/07/fevicon.png नानी-दादी – agaadhworld http://agaadhworld.in 32 32 जीवित्पुत्रिका http://agaadhworld.in/jivitputrika/ Sun, 30 Sep 2018 18:45:57 +0000 http://agaadhworld.in/?p=2264 जीवितपुत्रिका व्रत जीवितपुत्रिका व्रत को जिउतिया भी कहते हैं। यह हिन्दुओं में एक लोकपर्व है, जो संतानों की सुरक्षा के लिए

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जीवितपुत्रिका व्रत

जीवितपुत्रिका व्रत को जिउतिया भी कहते हैं। यह हिन्दुओं में एक लोकपर्व है, जो संतानों की सुरक्षा के लिए किया जाता है। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत-उपवास करते हुए अपने संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की दुआ मांगती हैं। यह एक कठिन पर्व है, इसमें जल पीने का प्रावधान नहीं है। यह व्रत आश्विन महीना के कृष्ण-पक्ष सप्तमी-तिथि से रहित अष्टमी-तिथि को किया जाता है | पूरे 24 घंटे महिलाएं बिना जल के रहकर यह कठिन व्रत करती हैं और पूजा-अर्चना के बाद हीं वे नवमी-तिथि में व्रत तोड़ती हैं।

माताओं के सम्मान और एकता का पर्व

खास बात यह है कि यह व्रत पितृपक्ष में पड़ता है और इसके दौरान महिलाएं या माताएं अपनी माताओं की सात पीढिय़ों को याद करती हैं। उनकी पूजा करती हैं और उनसे दुआ मांगती हैं कि संतानें सुखी रहें, समृद्ध हों। एक तरह से यह महिलाओं की एकता का भी पर्व है। ऐसा अकसर देखा गया है कि महिलाओं में एक दूसरे की संतान के प्रति द्वेष या ईश्र्या का भाव होता है। ऐसे में यह पर्व महिलाओं को एक दूसरे की शुभकामना के लिए प्रेरित करता है, ताकि सबकी संतानें सुखी हों, समृद्ध हों।

माताओं का ऐसा कोई दूसरा पर्व दुनिया में नहीं है। यह पर्व विशेष रूप से भारत के बिहार और  उत्तरप्रदेश में मनाया जाता है। संक्षेप में कहें तो जिउतिया व्रत संतान के लिए और तीज व्रत पति के लिए किया जाता है।

क्या आपको अपनी दादी-नानी का नाम पता है ?

आमतौर पर पुरुषों के नाम पर ही पीढिय़ां चलती हैं और स्त्री पूर्वजों को भुला दिया जाता है। लोग अपनी नानियों और दादियों का नाम भूल जाते हैं, जबकि जीवितपुत्रिका पर्व आपको अपनी नानी-दादी के नाम को याद रखने का अवसर देता है।

कोई स्त्री अगर यह व्रत-उपवास न भी करे, तो कम से कम अपनी मां-दादी-नानी इत्यादि को याद करे। उनके नाम कहीं लिख कर रखें |दुनिया स्त्रियों के नाम को न भूले। उनका योगदान घर की दीवारों के अंदर ही भुला न दिया जाए। यह पर्व नारीवाद का पक्षधर है, इसलिए ऐसे पर्व की आधुनिक दौर में जरूरत है।

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