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]]>Saturday, 01 सितम्बर 2017
अर्थात हम यह अहंकार न पालें कि हम अच्छे हैं और साथ ही हम यह नहीं मानें कि दुनिया के दूसरे सारे लोग बुरे हैं। प्रेम का यही रास्ता है, प्रेम भीतर देखता है और जगाता है, सुधरता है, तो दुनिया सुधरती है।
दुनिया में जितने भी धर्मग्रंथ रचे गए हैं, उनमें शायद सबसे प्रिय और काव्यात्मक श्रीगुरुग्रंथ साहिब ही हैं। एक ऐसा ग्रंथ जिसकी हर गुरुद्वारे में पूजा-अर्चना होती है। जिसे सिर-माथे में सजाया जाता है, जिसे दिल से गाया जाता है। एक ऐसा ग्रंथ जिसमें न केवल सिख गुरुओं की वाणियां बल्कि अन्य धर्मों के 30 संतों की वाणियां संकलित हैं। हिन्दू भक्त कवि भी हैं, तो मुसलिम सूफी कवि भी। सब गुरु-कवि प्रेम और ज्ञान की काव्यात्मक पंक्तियों के जरिये धर्म की ऐसा अलख जगाते हैं कि धर्मों के तमाम बंधन टूट जाते हैं। भेद मिट जाते हैं। एक ऐसा धर्म बनता है, जिसमें कोई गरीब ऐसा नहीं, जिसे भीख मांगने की जरूरत पड़े। श्रीगुरुग्रंथ साहिब किसी को निराश नहीं होने देता, किसी को भी निर्धन होने नहीं देता। सबको संपन्नता-स्वच्छता और सद्भाव की ओर ले जाता है।
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