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23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ – agaadhworld http://agaadhworld.in Know the religion & rebuild the humanity Tue, 23 Apr 2024 05:03:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.8 http://agaadhworld.in/wp-content/uploads/2017/07/fevicon.png 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ – agaadhworld http://agaadhworld.in 32 32 Mahaveer Jayanti http://agaadhworld.in/mahaveer-jayanti/ http://agaadhworld.in/mahaveer-jayanti/#respond Tue, 16 Apr 2019 19:19:15 +0000 http://agaadhworld.in/?p=4007 जैन शब्द के जन्मदाता की जयंती जैन मत उतना ही प्राचीन है, जितना कि हिन्दू धर्म के अवतार हैं। प्रथम

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जैन शब्द के जन्मदाता की जयंती

जैन मत उतना ही प्राचीन है, जितना कि हिन्दू धर्म के अवतार हैं। प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ से लेकर 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ तक यह मत किसी नामकरण से वंचित था। जब चौबीसवें तीर्थंकर महावीर का धर्म क्षेत्र में पदार्पण हुआ, तब उन्होंने जीवन और अपने मत की आदर्शतम स्थितियां पैदा कर दीं। वे समाज में आदर्श त्यागी के रूप में उभरे। वे मानव जीवन की तमाम कमियों पर जय पाने में सफल हुए। उन्हें विजेता घोषित किया गया, उन्हें वीर, अतिवीर और महावीर घोषित किया गया। उन्हें जिन कहा गया और यहीं से उन्हें मानने वाले जैन कहलाने लगे।
मत या धर्म का नामकरण हो गया। जैन धर्म आज जिस स्वरूप में संगठित और सुदृढ़ नजर आता है, उसमें सर्वाधिक योगदान महावीर का ही माना जाता है।

जैन धर्म ने देश को क्या दिया ?

जैन विद्वानों के अनुसार, जैन धर्म ने इस देश को बहुत कुछ दिया है। जैन मत के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ के पुत्र भरत के नाम पर ही इस देश का एक नाम भारत रखा गया था। जैन धर्म ने इस देश को वर्ण दिए। प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ जी ने ही वैश्य, क्षत्रिय और शूद्र – तीन वर्ण बनाए। उनके पुत्र भरत ने इन तीन वर्णों का अध्ययन किया और इनमें से जो लोग उत्तम व्रत और उत्तम चरित्र वाले थे, उन्हें लेकर ब्राह्मण वर्ण बनाया। जैन धर्म का सबसे बड़ा योगदान है अहिंसा का प्रचार। वैसे तो वैदिक ज्ञान में भी अहिंसा का उपदेश था, लेकिन जैन धर्म ने इस पर सर्वाधिक जोर दिया। जैन धर्म ने सबसे पहले वेदों का विरोध किया। ईश्वर की सत्ता को मानने से इनकार कर दिया। जैन मत के अनुसार संसार का कोई ईश्वर नहीं है। यह दुनिया का सबसे सुगठित नास्तिक धर्म है, लेकिन इसकी गिनती सबसे उदार धर्मों में भी होती है। हिन्दू धर्म को सुधारने में जैन धर्म का बड़ा योगदान है। जैन धर्म के मुनियों ने हर दौर में यह याद दिलाया कि त्याग किसे कहते हैं। वास्तव में विजयी कैसे हुआ जाता है। दीपावली का श्रेय भी जैन धर्म को दिया जाता है। जैन युग में ही भारत ने दुनिया को कई योगदान या आविष्कार दिए थे।


तीन नास्तिक : जैन, चार्वाक और बौद्ध

जैन, चार्वाक और बौद्ध तीनों ही नास्तिक मत का प्रचार करते हैं। तीनों ही ईश्वर को नहीं मानते। कुछ विद्वान ऐसा मानते हैं कि चार्वाक से भी पहले जैन मत का दुनिया में पदार्पण हो गया था। ब्राह्मणों के पाखंड और वेदों के भटकाव की आलोचना करने वाले चार्वाक ऋषि महाभारत काल में हुए थे। महाभारत काल में २१वें तीर्थंकर नेमिनाथ हुए थे। नेमिनाथ को श्री कृष्ण का चचेरा भाई माना जाता है। लेकिन इससे यह बात भी सिद्ध होती है कि जैन मत महाभारत काल और कृष्ण अवतार के पहले ही संसार में आ चुका था। चार्वाक को मानने वाले भारत में नहीं के बराबर रहे हैं, क्योंकि चार्वाक भोग को श्रेष्ठ मानते थे। इस देश ने हमेशा ही त्याग को महत्व दिया है। बौद्ध के यहां भी अहिंसा की बात होती है, लेकिन वहां भी बाद में शाकाहार कमजोर पड़ गया। नास्तिक मत में अकेला जैन ही एक ऐसा मत है, जिसने अहिंसा का दामन नहीं छोड़ा, जिसने त्याग को सर्वाधिक महत्व दिया। जैन धर्म इसीलिए भारत में हमेशा ही घुलामिला रहा और वह किसी के लिए खतरा नहीं बना।


बिहार में जन्मे थे महावीर

भगवान महावीर का जन्म ईसा पूर्व 599 में चैत शुक्ल त्रयोदशी को दुनिया के पहले गणतंत्र वैशाली गणराज्य के कुंडलपुर में एक राजपुत्र के रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। उस दौर में राजा भी आम लोगों की तरह ही रहा करते थे, गणों और गणसभाओं का ही राज चलता था। उनका बचपन का नाम वद्र्धमान था और वे 30 वर्ष की आयु तक राज्यकाज के अधीन ही रहे। इस बीच उनका विवाह यशोदा जी से हुआ। उनकी एक पुत्री भी हुई। 30 की आयु में वद्र्धमान ने गृह त्याग दिया और संन्यासी हो गए। 12 वर्ष की तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान हुआ, जिसे केवल्य ज्ञान कहते हैं। उसके बाद के अपने 30 साल उन्होंने धर्म की सेवा में लगा दिए। उन्हीं के समय में जैन धर्म पूर्ण विकसित हुआ और आज भी मजबूती के साथ मौजूद है। कुल 72 वर्ष की आयु में बिहार में ही नालंदा के करीब पावापुरी में भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया। उनका मोक्ष या निर्वाण जिस दिन हुआ, उसी दिन दीपावली मनाई जाती है।


 भगवान महावीर के मुख्य संदेश

1 – अहिंसा – किसी भी तरह की हिंसा न करो।
2 – सत्य – कभी असत्य या झूठ मत बोलो।
3 – अस्तेय – किसी प्रकार की चोरी मत करो।
4 – ब्रह्मचर्य – भोग सीमित ही रहे। त्यागी बनो।
5 – अपरिग्रह – किसी भी वस्तु का संचय न करो।

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