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Swami Vivekanand Jayanti – agaadhworld http://agaadhworld.in Know the religion & rebuild the humanity Tue, 23 Apr 2024 05:03:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.8 http://agaadhworld.in/wp-content/uploads/2017/07/fevicon.png Swami Vivekanand Jayanti – agaadhworld http://agaadhworld.in 32 32 Swami Vivekanand Jayanti / स्वामी विवेकानंद जयंती http://agaadhworld.in/swami-vivekanand-jayanti/ http://agaadhworld.in/swami-vivekanand-jayanti/#respond Sun, 03 Feb 2019 18:41:12 +0000 http://agaadhworld.in/?p=3587 भारत की अपनी पहचान – स्वामी विवेकानंद अगर यह कहा जाए कि भारत और हिन्दू धर्म की आधुनिक पहचान स्वामी

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भारत की अपनी पहचान – स्वामी विवेकानंद
अगर यह कहा जाए कि भारत और हिन्दू धर्म की आधुनिक पहचान स्वामी विवेकानंद हैं, तो गलत नहीं होगा। एक तपस्वी जो श्रम में भी विश्वास करता था। एक भगवा वस्त्र धारी स्वामी जो कुश्ती लड़ता था, जिसे बॉक्सिंग आती थी, जो स्वयं भी दौड़ता था और घोड़सवारी भी करता था। जो तैरने में पारंगत था, जो तबला बजाता था। जो शरीर से सशक्त था, मन से आधुनिक था, लेकिन परंपरा की पूंजी जिसकी थाती थी। विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी1863 को कोलकाता में हुआ था और निधन बेलुर में 4 जुलाई 1902 को हुआ। उनका जीवन मात्र 39 वर्ष का था, लेकिन उन्होंने अनेक बड़े-बड़े काम किए और आज पूरी दुनिया उन्हें जानती है। यह की पहचान है।


रामकृष्ण मिशन कब बनाया?

स्वामी विवेकानंद ने 34 वर्ष की आयु में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। कोलकाता के पास स्थित बेलुर में मुख्यालय बना। अपने गुरु संत रामकृष्ण परमहंस (1836-1886) की प्रेरणा से उन्होंने मिशन की शुरुआत की थी। वेदांत पर उनका जोर था और गुरु व शिष्य दोनों ही कर्म पर विश्वास करते थे। गीता में वर्णित कर्मयोग के सिद्धांत को उन्होंने आगे बढ़ाया। उनका कार्यक्षेत्र केवल भारत नहीं था, दुनिया के अनेक देशों में मिशन के केन्द्र हैं। आज 187 से ज्यादा केन्द्र दुनिया भर में चल रहे हैं। जहां भारतीय दर्शन पर अध्ययन-चिंतन, ध्यान, गरीबों की सेवा, गरीब बच्चों की पढ़ाई, छात्रावास, पुस्तकालय व मंदिर की सेवा का कार्य होता है।


स्वामी विवेकानंद को क्यों याद किया जाए?

स्वामी विवेकानंद का पहला योगदान – शिल्प क्रांति-औद्योगिक व उभरते वाम विचारों की दुनिया में धर्म की स्थापना का कार्य विवेकानंद ने किया था। उन्होंने दुनिया को समझाया कि धर्म कहीं भी विकास में बाधक नहीं है। धर्म कहीं भी कर्म या श्रम से भागने की शिक्षा नहीं देता। संसार में उन्नति, सभ्यता और शांति के लिए धर्म की पालना जरूरी है।
स्वामी विवेकानंद का दूसरा योगदान – हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता सिद्ध करने का काम विवेकानंद ने अच्छी तरह से किया था। वे जैसा बोलते थे, वैसे ही जीते थे। उन्होंने हिन्दू धर्म पर न केवल हिन्दुओं के विश्वास को बढ़ाया, बल्कि दुनिया के सामने अपने व्यवहार से यह प्रमाणित किया कि हिन्दू साधु का चिंतन दूसरों से कितना अलग और श्रेष्ठ है।
स्वामी विवेकानंद का तीसरा योगदान – जब भारत और भारतीय संस्कृति को गुलाम बना दिया गया था, तब विवेकानंद ने पूरे ज्ञान-ऊर्जा व पौरुष के साथ हिन्दू समाज व हिन्दू संस्कृति के गौरव को जगाया-बढ़ाया। उन्होंने बताया कि हिन्दू लाचार नहीं हैं, हिन्दू परंपराएं समृद्ध हैं, हम विश्व गुरु होने और विश्व को मार्ग दिखाने की क्षमता रखते हैं।

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