Warning: "continue" targeting switch is equivalent to "break". Did you mean to use "continue 2"? in /home3/agaadhworld/public_html/wp-includes/pomo/plural-forms.php on line 210

Warning: session_start(): Cannot start session when headers already sent in /home3/agaadhworld/public_html/wp-content/plugins/cm-answers/lib/controllers/BaseController.php on line 51

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/agaadhworld/public_html/wp-includes/pomo/plural-forms.php:210) in /home3/agaadhworld/public_html/wp-includes/feed-rss2.php on line 8
calendar – agaadhworld http://agaadhworld.in Know the religion & rebuild the humanity Tue, 23 Apr 2024 05:03:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.8 http://agaadhworld.in/wp-content/uploads/2017/07/fevicon.png calendar – agaadhworld http://agaadhworld.in 32 32 calendar http://agaadhworld.in/calendar/ http://agaadhworld.in/calendar/#respond Sat, 30 Dec 2017 18:45:19 +0000 http://agaadhworld.in/?p=3423 Those 10 days : when no one born, no one died.  – 10 days disappeared from the calendar Think, you

The post calendar appeared first on agaadhworld.

]]>
Those 10 days : when no one born, no one died.

 – 10 days disappeared from the calendar

Think, you sleep on the 4th of the month and when you wake up the next day, then it will be 15th. Many will laugh, it will be fun, but in fact it has happened in the world. 10 days from the calendar have disappeared forever, those 10 days can not be brought back now. In those 10 days no one in the world was born or no one died.

Do not be surprised, it has happened in the calendar world. Not a single day disappeared from the real time or earth, but 10 days disappeared from the calendar, which can no longer return.

The Roman emperor Julius Caesar introduced the Julian Calendar in 46 BC. The Julian calendar was slow at the speed of the sun. There was a difference of about 11 minutes in both. We can say that the dates have gradually gone behind and the real time went ahead.

Christians began to struggle to celebrate the Easter festival In such a situation, Pope Gregory dared to change the calendar in 1582. Although its preparation lasted for nearly a hundred years. In the Julian calendar, October 1582 date Jumped from 4th  October to 15th October.

After midnight on October 4th we were directly on October 15th. In October 1582 there are only 21 days. In the same time name of the calendar became Gregorian calendar. In the Christian world, it is said that these 10 days had been vanished to fix the time of Easter.


वो 10 दिन : जब न कोई जन्मा और न कोई मरा

– जब कलेंडर से गायब हो गए 10 दिन

सोचकर देखिए, आप किसी महीने 4 तारीख को सोएं और ठीक दूसरे दिन जब जागें, तो 15 तारीख हो। बहुतों को हंसी आएगी, मजाक लगेगा, लेकिन वास्तव में दुनिया में ऐसा हो चुका है। कलेंडर से 10 दिन हमेशा के लिए गायब हो चुके हैं, उन 10 दिनों को अब वापस नहीं लाया जा सकता। उन 10 दिनों में दुनिया में न कोई पैदा हुआ और न कोई मरा।
आश्चर्य मत कीजिएगा, कलेंडर की दुनिया में ऐसा हो चुका है। वास्तविक धरती से कोई एक दिन भी गायब नहीं हुआ, लेकिन कलेंडर से 10 दिन गायब हो गए, जो अब कभी लौट नहीं सकते।

रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 46 में जूलियन कलेंडर की शुरुआत की थी। जूलियन कलेंडर सूर्य की गति से धीमा था। दोनों में करीब 11 मिनट का अंतर था। हम बोल सकते हैं कि धीरे-धीरे तारीखें पीछे छूट गईं और वास्तविक समय आगे बढ़ गया। ईसाइयों को ईस्टर का त्योहार मनाने में दिक्कत आने लगी। ऐसे में पोप ग्रेगोरी ने वर्ष 1582 में कलेंडर बदलने का साहस किया। हालांकि इसकी तैयारी करीब सौ वर्ष से चल रही थी। जूलियन कलेंडर में वर्ष 1582 अक्टूबर में 4 अक्टूबर के बाद सीधे 15 अक्टूबर आ गया। यानी 4 अक्टूबर की आधी रात के बाद सीधे 15 अक्टूबर की सुबह हुई। अक्टूबर 1582 मात्र 21 दिन का था। कलेंडर से 10 दिन सीधे गायब कर दिए गए और कलेंडर का नाम ग्रेगोरियन कलेंडर हो गया। ईसाई दुनिया में यह कहा जाता है कि ईस्टर के समय को दुरुस्त करने के लिए ये 10 दिन गायब कर दिए गए थे।


The post calendar appeared first on agaadhworld.

]]>
http://agaadhworld.in/calendar/feed/ 0
Happy New Year http://agaadhworld.in/happy-new-year/ http://agaadhworld.in/happy-new-year/#respond Wed, 27 Dec 2017 19:09:16 +0000 http://agaadhworld.in/?p=3413 कलेंडरों का राजा कौन ? ग्रेगोरियन कलेंडर ही दुनिया में कलेंडरों का राजा है। दुनिया के ज्यादातर देशों में यह

The post Happy New Year appeared first on agaadhworld.

]]>
कलेंडरों का राजा कौन ?
ग्रेगोरियन कलेंडर ही दुनिया में कलेंडरों का राजा है। दुनिया के ज्यादातर देशों में यह कलेंडर मान्य है। इसी के अनुरूप विश्व और संयुक्त राष्ट्र की योजनाएं बनती हैं। इसी के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम होते हैं। ग्रेगोरियन कलेंडर की शुरुआत 1582 में अक्टूबर के महीने में हुई थी – पोप ग्रेगोरी तेरहवें ने इसकी शुरुआत की थी। ग्रेगोरियन कलेंडर से पहले जूलियन कलेंडर की मान्यता ईसाई मतावलंबियों के बीच थी। जूलियन कलेंडर में सुधार करके ही ग्रेगोरियन कलेंडर की शुरुआत हुई। बताया जाता है कि ग्रेगोरियन कलेंडर में यह बदलाव इस्टर के दिन को तय करने के मकसद से किया गया था। कलेंडर का नाम भले ही पोप ग्रेगोरी के नाम पर पड़ा, लेकिन इसके पीछे वास्तव में काम तब के गणितज्ञ क्रिस्टोफर क्लेवियस (जीवनकाल 1538-1612) का था। क्लेवियस के पहले इस कलेंडर सुधार के कार्य में एलोयसिस लिलियस (जीवनकाल 1510- 1576) लगे थे और पहला सुधार प्रस्ताव लिलियस ने ही तैयार किया था। यह कलेंडर 1582 में स्वीकार किया गया और उसी सदी में दुनिया के करीब 9 देशों में यह कलेंडर मान्य हो गया था। हालांकि इसके बाद की सदी में मात्र 3 और अन्य देशों ने इसे मान्य किया, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसकी मान्यता बढ़ती चली गई। भारत में यह अंग्रेजों के जरिये  1752 में पहुंचा। इसी वर्ष ब्रिटेन ने इस कलेंडर को मान्यता दी थी।

कलेंडर का मतलब क्या है?

कलेंडर यानी पंचांग। कलेंडर यानी वह किताब या पुस्तिका जिसमें आप वार, सप्ताह, महीना और वर्ष का हिसाब रखते और देखते हैं। कलेंडर शब्द कलेंडे शब्द से बना है – यह रोमन कलेंडर के वर्ष के पहले दिन को भी कहा जाता है। लातीन में कलेंडेरियम शब्द है – जिसका अर्थ है लेखा-जोखा की किताब या पोथी।

दुनिया में 85 से ज्यादा कलेंडर हैं

कलेंडरों की दुनिया निराली है। दुनिया में 85 से ज्यादा कलेंडर प्रचलित हैं, जिनमें से 30 के करीब कलेंडर ज्यादा चर्चित और उपयोग में लाए जा रहे हैं। हर कलेंडर एक संस्कृत या सभ्यता या देश से जुड़ा हुआ है। चार प्रकार के कलेंडर होते हैं- सूर्य कलेंडर अर्थात सोलर कलेंडर, चंद्र कलेंडर अर्थात लुनर कलेंडर, चंद्र-सूर्य कलेंडर, लुनीसोलर कलेंडर और सिजनल या मौसमी कलेंडर। ग्रेगोरियन कलेंडर सोलर कलेंडर है। भारत में सर्वाधिक प्रचलित विक्रम संवत लुनीसोलर कलेंडर है, इसमें माह की गणना चंद्र के हिसाब से होती है, लेकिन वर्ष सूर्य के हिसाब से चलता है।

सबसे पुराना कलेंडर कौन?

भारत को गणना के लिए जाना जाता है। भारत में आदिकाल से पंचांग की परंपरा रही है। भारत का कलेंडर सम्बंधी गणित लाजवाब है, लेकिन यहां कलेंडर के प्रमाण बहुत बाद में उपलब्ध होते हैं। भारत में लिखित इतिहास का अभाव रहा है। ग्रीस, रोम आदि की सभ्यताओं को इस मामले में आगे माना जाता है। मान्य रूप से रोमन कलेंडर को सबसे पुराना माना जाता है।
स्कॉटलेंड में वर्ष 2013  में दुनिया का सबसे पुराना कलेंडर प्राप्त हुआ है, जिसे ईसा पूर्व 10000 साल पुराना माना जा रहा है।

The post Happy New Year appeared first on agaadhworld.

]]>
http://agaadhworld.in/happy-new-year/feed/ 0