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गणेश जी का एक दांत – agaadhworld http://agaadhworld.in Know the religion & rebuild the humanity Tue, 23 Apr 2024 05:03:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.8 http://agaadhworld.in/wp-content/uploads/2017/07/fevicon.png गणेश जी का एक दांत – agaadhworld http://agaadhworld.in 32 32 गणेश जी का एक दांत कहां गया? http://agaadhworld.in/ganesh-ji-ka-ek-dant-kaha-gaya/ Thu, 24 Aug 2017 18:56:13 +0000 http://agaadhworld.in/?p=2294 गणेश जी का एक दांत कहां गया? गणेश प्रतिमा में बस एक दांत दिखता है। गणेश जी को एकदंत भी

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गणेश जी का एक दांत कहां गया?

गणेश प्रतिमा में बस एक दांत दिखता है। गणेश जी को एकदंत भी कहा जाता है। दूसरा दांत कहां गया? इसकी भी दो कथाएं हैं। एक कथा यह है कि युद्ध में उनका एक दांत टूट गया था। दूसरी कथा यह है कि उन्होंने अपना एक दांत महाभारत लिखने में खर्च कर दिया था। तय हुआ था कि महर्षि वेदव्यास बोलते जाएंगे और गणेश जी लिखते जाएंगे। महाभारत एक विशाल रचना, शुरू हुई, तो न जाने कब खत्म हो, कलम से तो काम नहीं चलेगा, कहां खोजेंगे कलम। तो गणेश जी ने कलम के रूप में अपने एक दांत का उपयोग किया।

यह कहा जाता है कि जो महाभारत में है, वह कहीं नहीं है और जो महाभारत में नहीं है, वह भी कहीं नहीं है। मतलब – महाभारत में सबकुछ है। ऐसी ज्ञानवद्र्धक संपूर्ण रचना के लिए गणेश जी ने अपना तन-मन लगा दिया। अपने शरीर का महत्वपूर्ण अंग दे दिया। संसार को कुछ देने के लिए, जनकल्याण के लिए बुद्धिमानों और गुणवानों को ऐसा ही करना चाहिए।


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पिता महादेव पर आरोप – पुत्र का सिर क्यों काटा http://agaadhworld.in/pita-mahadev-ka-aarop-putra-ka-sir-kyu-kata/ Thu, 24 Aug 2017 18:56:10 +0000 http://agaadhworld.in/?p=2293 पिता महादेव पर आरोप – पुत्र का सिर क्यों काटा हिन्दू धर्म में आलोचना के लिए पूरा स्थान है। तो

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पिता महादेव पर आरोप – पुत्र का सिर क्यों काटा

हिन्दू धर्म में आलोचना के लिए पूरा स्थान है। तो यह सवाल कई बार उठता है कि महादेव क्या अपने पुत्र को पहचान नहीं पाए, उन्होंने एक बालक पर हाथ उठाया, सिर काट दिया, देवता को तो सबकुछ पता होता, लेकिन यह कैसे देव थे। महादेव पर तरह-तरह से सवाल उठते हैं।

इसका उत्तर यह है कि भगवान को सबकुछ पता होता है, उनसे कुछ भी छिपा नहीं होता, लेकिन भगवान संसार को दिखाने के लिए लीला करते हैं। लीला का उद्देश्य जनकल्याण होता है, एक सही उदाहरण प्रस्तुत करना होता है। महादेव ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने इस लीला के जरिये संसार को तरह-तरह से संदेश दिए।

पहला : बालकों को ज्यादा हठी नहीं होना चाहिए। बड़ों से युद्ध नहीं ठानना चाहिए।

दूसरा : बालकों की भी बुद्धि होती है, वे भी अपने माता-पिता के आदेश पर अपनी जान तक दे सकते हैं। ऐसे अद्भुत बालक संसार को चाहिए, इसलिए इन्हें जीवन व पुनर्जीवन देने की जरूरत है, जैसे गणेश जी को पुन: जीवन व प्रतिष्ठा दी गई।

तीसरा : महादेव ने मनुष्य समाज को विस्तार दिया। महादेव मनुष्य और अन्य जीव का भेद मिटाना चाह रहे थे। शरीर के आकार में कुछ नहीं रखा है, कार्य और गुण ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने बालक के धड़ में हाथी का सिर जोड़ा। संदेश दिया कि अन्य जीव भी मनुष्य समाज का हिस्सा हैं, वे भी काम आ सकते हैं, उनसे भी पूरा प्रेम रखा जाए। महादेव स्वयं बैल पर विहार करने वाले, गले में सांप लपेटने वाले देव हैं। उन्होंने गणेश जी को नया रूप देकर पूरे जीव जगत में सत्यम शिवम सुंदरम की आधारशिला रखी। जीवों के बीच संधि को पूजनीय बना दिया।

चौथा : जरा सोचिए, संसार को दिखाने के लिए अपने पुत्र की जगह अगर किसी दूसरे के पुत्र का वे सिर काट देते, तो संसार क्या कहता? यह अनुचित था, तब तो और ज्यादा आलोचना होती। अत: महादेव ने अपने ही पुत्र की बलि देकर संसार को सबक सिखाया कि संदेश देना चाहते हो, तो खुद से शुरू करो, अपने परिवार से शुरू करो।

पांचवां : अपने संतान का बाह्य रूप नहीं, उसका आंतरिक रूप देखना चाहिए। उसके गुण देखने चाहिए और संतान में गुणों के विकास को ही समर्थन देना चाहिए। पुत्र-पुत्री छोटे, नाटे, काले, मोटे या बदसूरत हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, उनमें सद्गुण होने चाहिए। आज समाज को इसी की जरूरत है।


गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों होती है?

 

वे बुद्धि, व्यावहारिकता, उदारता, सहजता की सहज प्रतिमूर्ति हैं, इसलिए उनकी सबसे पहले पूजा की जाती है। इनके पिता महादेव भी अत्यंत उदार देवता माने जाते हैं और पुत्र भी अत्यंत उदार और हंसमुख हैं। कथा है – प्रतियोगिता हुई थी कि पृथ्वी की परिक्रमा कौन जल्दी लगा लेगा। एक मत के अनुसार इस प्रतियोगिता में अनेक देवी-देवताओं ने भाग लिया था और दूसरे मत के अनुसार, लीला स्वरूप भगवान महादेव ने यह प्रतियोगिता अपने ही दो बालकों – कार्तिकेय और गणेश के बीच करवाई थी। कार्तिकेय तो अपने वाहन मोर से संसार की परिक्रमा के लिए तत्काल निकल गए, किन्तु इधर मूषक वाहन के स्वामी गणेश जी ने विकल्प पर विचार किया। सात बार अपने माता-पिता की परिक्रमा की। तर्क यह था कि बच्चों के लिए माता-पिता ही संसार हैं। पिता ने इस सुलभ और प्रिय तर्क को माना। अत: इसलिए गणेश जी प्रथम पूज्य हैं।


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Ganesh Chaturthi
Ganesh Chaturthi

गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों होती है?

 

वे बुद्धि, व्यावहारिकता, उदारता, सहजता की सहज प्रतिमूर्ति हैं, इसलिए उनकी सबसे पहले पूजा की जाती है। इनके पिता महादेव भी अत्यंत उदार देवता माने जाते हैं और पुत्र भी अत्यंत उदार और हंसमुख हैं। कथा है – प्रतियोगिता हुई थी कि पृथ्वी की परिक्रमा कौन जल्दी लगा लेगा। एक मत के अनुसार इस प्रतियोगिता में अनेक देवी-देवताओं ने भाग लिया था और दूसरे मत के अनुसार, लीला स्वरूप भगवान महादेव ने यह प्रतियोगिता अपने ही दो बालकों – कार्तिकेय और गणेश के बीच करवाई थी। कार्तिकेय तो अपने वाहन मोर से संसार की परिक्रमा के लिए तत्काल निकल गए, किन्तु इधर मूषक वाहन के स्वामी गणेश जी ने विकल्प पर विचार किया। सात बार अपने माता-पिता की परिक्रमा की। तर्क यह था कि बच्चों के लिए माता-पिता ही संसार हैं। पिता ने इस सुलभ और प्रिय तर्क को माना। अत: इसलिए गणेश जी प्रथम पूज्य हैं।


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