गणेश जी का एक दांत कहां गया?
गणेश प्रतिमा में बस एक दांत दिखता है। गणेश जी को एकदंत भी कहा जाता है। दूसरा दांत कहां गया? इसकी भी दो कथाएं हैं। एक कथा यह है कि युद्ध में उनका एक दांत टूट गया था। दूसरी कथा यह है कि उन्होंने अपना एक दांत महाभारत लिखने में खर्च कर दिया था। तय हुआ था कि महर्षि वेदव्यास बोलते जाएंगे और गणेश जी लिखते जाएंगे। महाभारत एक विशाल रचना, शुरू हुई, तो न जाने कब खत्म हो, कलम से तो काम नहीं चलेगा, कहां खोजेंगे कलम। तो गणेश जी ने कलम के रूप में अपने एक दांत का उपयोग किया।
यह कहा जाता है कि जो महाभारत में है, वह कहीं नहीं है और जो महाभारत में नहीं है, वह भी कहीं नहीं है। मतलब – महाभारत में सबकुछ है। ऐसी ज्ञानवद्र्धक संपूर्ण रचना के लिए गणेश जी ने अपना तन-मन लगा दिया। अपने शरीर का महत्वपूर्ण अंग दे दिया। संसार को कुछ देने के लिए, जनकल्याण के लिए बुद्धिमानों और गुणवानों को ऐसा ही करना चाहिए।