The post गणेश जी का एक दांत कहां गया? appeared first on agaadhworld.
]]>गणेश प्रतिमा में बस एक दांत दिखता है। गणेश जी को एकदंत भी कहा जाता है। दूसरा दांत कहां गया? इसकी भी दो कथाएं हैं। एक कथा यह है कि युद्ध में उनका एक दांत टूट गया था। दूसरी कथा यह है कि उन्होंने अपना एक दांत महाभारत लिखने में खर्च कर दिया था। तय हुआ था कि महर्षि वेदव्यास बोलते जाएंगे और गणेश जी लिखते जाएंगे। महाभारत एक विशाल रचना, शुरू हुई, तो न जाने कब खत्म हो, कलम से तो काम नहीं चलेगा, कहां खोजेंगे कलम। तो गणेश जी ने कलम के रूप में अपने एक दांत का उपयोग किया।
यह कहा जाता है कि जो महाभारत में है, वह कहीं नहीं है और जो महाभारत में नहीं है, वह भी कहीं नहीं है। मतलब – महाभारत में सबकुछ है। ऐसी ज्ञानवद्र्धक संपूर्ण रचना के लिए गणेश जी ने अपना तन-मन लगा दिया। अपने शरीर का महत्वपूर्ण अंग दे दिया। संसार को कुछ देने के लिए, जनकल्याण के लिए बुद्धिमानों और गुणवानों को ऐसा ही करना चाहिए।
The post गणेश जी का एक दांत कहां गया? appeared first on agaadhworld.
]]>The post पिता महादेव पर आरोप – पुत्र का सिर क्यों काटा appeared first on agaadhworld.
]]>हिन्दू धर्म में आलोचना के लिए पूरा स्थान है। तो यह सवाल कई बार उठता है कि महादेव क्या अपने पुत्र को पहचान नहीं पाए, उन्होंने एक बालक पर हाथ उठाया, सिर काट दिया, देवता को तो सबकुछ पता होता, लेकिन यह कैसे देव थे। महादेव पर तरह-तरह से सवाल उठते हैं।
इसका उत्तर यह है कि भगवान को सबकुछ पता होता है, उनसे कुछ भी छिपा नहीं होता, लेकिन भगवान संसार को दिखाने के लिए लीला करते हैं। लीला का उद्देश्य जनकल्याण होता है, एक सही उदाहरण प्रस्तुत करना होता है। महादेव ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने इस लीला के जरिये संसार को तरह-तरह से संदेश दिए।
पहला : बालकों को ज्यादा हठी नहीं होना चाहिए। बड़ों से युद्ध नहीं ठानना चाहिए।
दूसरा : बालकों की भी बुद्धि होती है, वे भी अपने माता-पिता के आदेश पर अपनी जान तक दे सकते हैं। ऐसे अद्भुत बालक संसार को चाहिए, इसलिए इन्हें जीवन व पुनर्जीवन देने की जरूरत है, जैसे गणेश जी को पुन: जीवन व प्रतिष्ठा दी गई।
तीसरा : महादेव ने मनुष्य समाज को विस्तार दिया। महादेव मनुष्य और अन्य जीव का भेद मिटाना चाह रहे थे। शरीर के आकार में कुछ नहीं रखा है, कार्य और गुण ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने बालक के धड़ में हाथी का सिर जोड़ा। संदेश दिया कि अन्य जीव भी मनुष्य समाज का हिस्सा हैं, वे भी काम आ सकते हैं, उनसे भी पूरा प्रेम रखा जाए। महादेव स्वयं बैल पर विहार करने वाले, गले में सांप लपेटने वाले देव हैं। उन्होंने गणेश जी को नया रूप देकर पूरे जीव जगत में सत्यम शिवम सुंदरम की आधारशिला रखी। जीवों के बीच संधि को पूजनीय बना दिया।
चौथा : जरा सोचिए, संसार को दिखाने के लिए अपने पुत्र की जगह अगर किसी दूसरे के पुत्र का वे सिर काट देते, तो संसार क्या कहता? यह अनुचित था, तब तो और ज्यादा आलोचना होती। अत: महादेव ने अपने ही पुत्र की बलि देकर संसार को सबक सिखाया कि संदेश देना चाहते हो, तो खुद से शुरू करो, अपने परिवार से शुरू करो।
पांचवां : अपने संतान का बाह्य रूप नहीं, उसका आंतरिक रूप देखना चाहिए। उसके गुण देखने चाहिए और संतान में गुणों के विकास को ही समर्थन देना चाहिए। पुत्र-पुत्री छोटे, नाटे, काले, मोटे या बदसूरत हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, उनमें सद्गुण होने चाहिए। आज समाज को इसी की जरूरत है।
वे बुद्धि, व्यावहारिकता, उदारता, सहजता की सहज प्रतिमूर्ति हैं, इसलिए उनकी सबसे पहले पूजा की जाती है। इनके पिता महादेव भी अत्यंत उदार देवता माने जाते हैं और पुत्र भी अत्यंत उदार और हंसमुख हैं। कथा है – प्रतियोगिता हुई थी कि पृथ्वी की परिक्रमा कौन जल्दी लगा लेगा। एक मत के अनुसार इस प्रतियोगिता में अनेक देवी-देवताओं ने भाग लिया था और दूसरे मत के अनुसार, लीला स्वरूप भगवान महादेव ने यह प्रतियोगिता अपने ही दो बालकों – कार्तिकेय और गणेश के बीच करवाई थी। कार्तिकेय तो अपने वाहन मोर से संसार की परिक्रमा के लिए तत्काल निकल गए, किन्तु इधर मूषक वाहन के स्वामी गणेश जी ने विकल्प पर विचार किया। सात बार अपने माता-पिता की परिक्रमा की। तर्क यह था कि बच्चों के लिए माता-पिता ही संसार हैं। पिता ने इस सुलभ और प्रिय तर्क को माना। अत: इसलिए गणेश जी प्रथम पूज्य हैं।
The post पिता महादेव पर आरोप – पुत्र का सिर क्यों काटा appeared first on agaadhworld.
]]>The post गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों होती है? appeared first on agaadhworld.
]]>
वे बुद्धि, व्यावहारिकता, उदारता, सहजता की सहज प्रतिमूर्ति हैं, इसलिए उनकी सबसे पहले पूजा की जाती है। इनके पिता महादेव भी अत्यंत उदार देवता माने जाते हैं और पुत्र भी अत्यंत उदार और हंसमुख हैं। कथा है – प्रतियोगिता हुई थी कि पृथ्वी की परिक्रमा कौन जल्दी लगा लेगा। एक मत के अनुसार इस प्रतियोगिता में अनेक देवी-देवताओं ने भाग लिया था और दूसरे मत के अनुसार, लीला स्वरूप भगवान महादेव ने यह प्रतियोगिता अपने ही दो बालकों – कार्तिकेय और गणेश के बीच करवाई थी। कार्तिकेय तो अपने वाहन मोर से संसार की परिक्रमा के लिए तत्काल निकल गए, किन्तु इधर मूषक वाहन के स्वामी गणेश जी ने विकल्प पर विचार किया। सात बार अपने माता-पिता की परिक्रमा की। तर्क यह था कि बच्चों के लिए माता-पिता ही संसार हैं। पिता ने इस सुलभ और प्रिय तर्क को माना। अत: इसलिए गणेश जी प्रथम पूज्य हैं।
The post गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों होती है? appeared first on agaadhworld.
]]>The post सबसे पूज्य पिता का प्रथम पूज्य पुत्र appeared first on agaadhworld.
]]>देवता तो करोड़ों थे, लेकिन धरती पर इतनी फुरसत किस मनुष्य को है कि सबकी पूजा करे, इतने देवता हों, तो नाम लेने के लिए जीवन भी कम पड़ जाए। अत: ऋषियों ने तय किया कि कोई एक ऐसा सहज देव चुना जाए, जिसकी पूजा पृथ्वी पर हो। भृगु मुनि को देवताओं में श्रेष्ठ का चयन करने की जिम्मेदारी दी गई। भृगु ने तमाम परिक्षण और चिंतन के बाद महादेव को ही धरती पर पूजनीय घोषित किया। सर्वाधिक मंदिर आज भी महादेव के ही हैं। प्राचीन काल में केवल उनके ही मंदिर होते थे।
ऋषियों की दृष्टि में पिता धरती पर अकेले नित्य पूजनीय देवता हैं और उन्होंने ही अपने अद्भुत सेवाभावी पुत्र को प्रथम पूज्य देव घोषित किया है।
The post सबसे पूज्य पिता का प्रथम पूज्य पुत्र appeared first on agaadhworld.
]]>The post गणेश जी की मूर्तियां सबसे ज्यादा क्यों? appeared first on agaadhworld.
]]>भगवान गजानन की मूर्तियां जगत प्रसिद्ध हैं। नाना प्रकार से और नाना वस्तुओं से उनकी मूर्तियां बनाई जाती हैं। इनकी मूर्तियों के जितने विविध रूप मिलते हैं, उतने किसी के भी नहीं मिलते। माता पार्वती ने इन्हें उबटन के सहारे अपने हाथों से ही बनाया था। वे अत्यंत उदार हैं, जल्दी प्रसन्न होते हैं, वे अपने भक्तों को अभिव्यक्ति, सृजन या निर्माण की पूरी स्वतंत्रता देते हैं, इसलिए नाना प्रकार से उनकी प्रतिमाओं का निर्माण संभव होता है।
The post गणेश जी की मूर्तियां सबसे ज्यादा क्यों? appeared first on agaadhworld.
]]>The post गणेश पूजा appeared first on agaadhworld.
]]>हिन्दू अनेक देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन सभी देवताओं में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। शुभारंभ करने को श्रीगणेश करना भी कहा जा सकता है। किसी भी देवता की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा का नियम बना हुआ है, जिसे हिन्दू आदिकाल से मानते आ रहे हैं। देवी माता पार्वती ने हल्दी चंदन के उबटन से गणेश जी का सृजन किया था। एक दिन जब वे स्नान के लिए जा रही थीं, तब उन्हें एक द्वार रक्षक की आवश्यकता महसूस हुई, तो उन्होंने गणेश को गढ़ा और आदेश दिया कि द्वार की रक्षा करो, किसी को अंदर न आने देना।
देवी पार्वती के पति महादेव शंकर वहां पहुंच गए। माता के आदेश के अनुसार गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। बात बढ़ गई, युद्ध की स्थिति बन गई। महादेव ने क्रोध में बाल गणेश का सिर काट दिया। पार्वती को जब पता चला तो बहुत शोक की स्थिति बन गई। मांग हुई कि गणेश जी को पुन: जीवित किया जाए। महादेव भी चिंतित हुए। उपाय सोचा। गणेश जी का मनुष्य सिर फिर उपयोग लायक नहीं था, अत: गज या हाथी के बच्चे का सिर गणेश जी के धड़ के साथ जोडक़र उन्हें पुन: जीवित कर दिया। संसार को एक अद्भुत देव की प्राप्ति हुई, जिसका मुख हाथी का और शरीर मनुष्य का है। उन्हें गुणों के साथ-साथ साधनों का भी देवता माना जाता है। बुद्धि, शक्ति, संपन्नता के लिए में उनकी पूजा होती है।
The post गणेश पूजा appeared first on agaadhworld.
]]>