Guru Govind singh jayanti

सिर्फ 9 साल की उम्र में हो गए गुरु

जी हां, दुनिया में श्रद्धा और आस्था में सबकुछ संभव है। समय बहुत बलवान होता है। विश्वास हो, तो एक बच्चा भी महानता की सीढिय़ां चढ़ जाता है। कुछ ऐसे ही थे सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी। बचपन में ही वे धर्मगुरु हो गए थे, जिनके सामने पूरा पंथ-समाज मत्था टेकता था। महान गुरु गोबिंद सिंह प्रमाण हैं कि दुनिया में संघर्ष, प्रेम और त्याग की हमेशा पूजा होती है। वे एक ओर अध्यात्म के शिखर थे, तो दूसरी ओर, कुशल योद्धा भी थे। एक ऐसा व्यक्तित्व जो संत भी था और सैनिक भी। सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी की शहादत के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी को मात्र 9 साल की उम्र में गुरु गद्दी पर विराजमान किया गया। पिता की शहादत के लगभग 4 महीने के बाद वे गुरु बने। सद्भाव और अपने धर्म के बचाव में हुई पिता की शहादत ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया था, तो गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रति समाज में व्यापक सम्मान का भाव था, लेकिन स्वयं उनका जीवन भी शांति से नहीं बीता। सद्भाव के दुश्मनों ने हमेशा परेशानी में डाले रखा। गुरु जी संघर्ष करते रहे, लेकिन कभी झुके नहीं, कभी दुश्मनों के सामने समर्पण नहीं किया।
ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। जन्म के स्थान पर आज तख्त श्री पटना साहिब विराजमान है। यहां पूरी दुनिया भर से सिख दर्शन के लिए आते हैं, इस गुरुद्वारे में गुरु जी के इस्तेमाल की कई वस्तुएं देखी जा सकती हैं।
उनके चार बेटे थे, दो बेटों को मुगल सेना ने दीवारों में चुनवा दिया, तो दो बेटे युद्ध में मारे गए। मुगलों ने वादा करके गुरु को धोखा दिया था। फिर भी गुरु शांति और सद्भाव के पक्षधर थे। उन्होंने इसके लिए अपने पुत्रों को गंवाने के बाद भी औरंगजेब को पत्र लिखा था, उसे फटकारा भी था और मिलने की इच्छा भी जताई थी, लेकिन मुगल बादशाह मिलने की हिम्मत नहीं जुटा सका। उसका पुत्र बहादुरशाह भी गुरु से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा सका। धोखा देने वाले मुगल डर रहे थे कि संत गुरु कुशल योद्धा सैनिक भी हैं और बदला ले सकते हैं।
वे 32 साल तक सिख गुरु रहे थे और मात्र 41 की उम्र में नांदेड़ में उनका निधन (1708 ) हुआ। उन्हें धोखे से मारा गया था, लेकिन दुनिया से जाते-जाते भी गुरु ने अपने हत्यारे को जिंदा नहीं छोड़ा था।

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गुरुगोबिंद सिंह जी को क्यों याद करे दुनिया ?

1 – उन्होंने दुनिया को एक सबसे प्रिय गुरुग्रंथ दिया, गुरुग्रंथ साहिब।
2 – उन्होंने कहा कि आज से सिखों का गुरु गुरुग्रंथ साहिब ही होगा।
3 – उन्होंने अत्याचार के विरुद्ध लडऩे के लिए खालसा स्थापित किया।
4 – उन्होंने केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कच्छा का महत्व बताया।
5 – उन्होंने कहा कि समाज के लिए संत बनो, तो कभी सैनिक भी।
6 – उन्होंने कहा कि सच्चे मार्ग पर चलो। त्याग, सेवा से पीछे न हटो।
7 – उन्होंने १४ लड़ाइयां लड़ीं, लेकिन किसी का धर्मस्थल नहीं तोड़ा।
8 – उनके दो बालक दीवार में चुनवाए गए, तो दो युद्ध में शहीद हुए।
9 – उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब को जफरनामा (पत्र) लिखा था।
10 – औरंगजेब कभी गुरु से सीधे मिलने की हिम्मत न जुटा पाया।
11 – गुरु ने दुनिया से जाते-जाते भी अपने हत्यारे को जिंदा नहीं छोड़ा।

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