Guru_Poornima

गुरु पूर्णिमा

वो 21 गुरु, जिन्हें भूलना असंभव

1 – महर्षि वेदव्यास – ईसा पूर्व 5000 वर्ष से भी पहले वेदव्यास हुए थे और ज्यादातर विद्वान इस बात से सहमत हैं कि इतिहास में अनेक वेदव्यास हुए हैं। इनका प्रमुख कार्य चार वेदों का संपादन रहा है। वेदों के आधार पर ही सनातन धर्म चल रहा है।


2 – महर्षि वाल्मीकि – ईसा पूर्व 5000 वर्ष से भी पहले हुए महर्षि वाल्मीकि पहले डाकू थे, राम की भक्ति ने उन्हें संत और फिर महर्षि बना दिया। वे दुनिया के प्रथम या आदि कवि हैं – उन्होंने रामायण की रचना करके सनातन संस्कृति को सशक्त बनाया था।


3 – ऋषि वशिष्ठ – ईसा पूर्व 5000 वर्ष से भी पहले वशिष्ठ जी हुए थे। अत्यंत विद्वान और तपस्वी ऋषि थे। वे दशरथ पुत्र मर्यादापुरुषोत्तम राम जी के गुरु थे, उन्होंने ही रामराज्य का मार्ग प्रशस्त किया। उनका ज्ञान आज भी दुनिया को राह दिखा रहा है।


4 – ऋषि गौतम – ईसा पूर्व 2500 में ऋषि गौतम हुए और सनातन धर्म के मूलभूत ढांचे को सशक्त करने में अतुलनीय योगदान दिया। उन्होंने संसार में पहली बार न्याय शास्त्र की रचना की थी, जिससे आगे चलकर अध्ययन, शासन-प्रशासन में सुविधा हुई।


5 – ऋषि मनु – ईसा पूर्व 2000 में हुए ऋषि मनु संसार के पहले संविधान लेखक या नीति निर्माता हैं। उन्होंने मानव व्यवहार कैसे हो, समाज का पालन-पोषण कैसे हो, व्यक्ति का उद्धार कैसे हो, व्यवस्था कैसे चले, इसके लिए मनु स्मृति की रचना की।


6 – चरक और सुश्रुत – ईसा पूर्व 1000 से 600 के बीच हुए चरक ने आयुर्वेद और औषधि विज्ञान को समृद्ध किया। सुश्रुत को दुनिया का पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है। हर संभव असाध्य बीमारियों का इलाज भी दोनों वैद्यों ने संसार को बताया था।


7 – वर्धमान महावीर – ईसा पूर्व 600 से 528 के बीच संसार में रहे वैशाली में जन्मे राजपुत्र वर्धमान महावीर ने भारतीय नास्तिक दर्शन के तहत ही जैन दर्शन की आधारशिला को मजबूत किया। उन्होंने दुनिया को तप और अहिंसा का शांतिपूर्ण मार्ग दिखलाया।


8 – गौतम बुद्ध – ईसा पूर्व 563 से 483 लुंबिनी में जन्मे राजपुत्र सिद्धार्थ ही आगे चलकर बुद्ध कहलाए। जाति भेदभाव, कर्मकांड, मूर्तिपूजा से परे जाकर सबसे सद्व्यवहार करते हुए, मानवतापूर्ण व्यवहार करते हुए मनुष्य अपने जीवन का लक्ष्य पा सकता है।



9 – ऋषि पाणिनी – ईसा पूर्व 300 में हुए ऋषि पाणिनी को व्याकरण के लिए हमेशा याद किया जाएगा। किसी भी भाषा के लिए दुनिया का संभवत: पहला व्याकरण पाणिनी ने ही लिखा था। भाषा मजबूत हुई, तो शिक्षा व सभ्यता को मजबूती मिली।


10 – कौटिल्य – ईसा पूर्व 200 ईसा पूर्व हुए कौटिल्य या चाणक्य ने पहली बार अर्थशास्त्र की रचना की, जिसके तहत ही पूरी राजनीति और दंडशास्त्र को उन्होंने समेट लिया। उन्होंने व्यवस्थित तरीके से बताया कि आधुनिक राज्य कैसे चलाया जाता है।


11 – ऋषि पतंजलि – ईसा पूर्व 100 में ऋषि पतंजलि ने योग शास्त्र की रचना की और बताया कि योग मनुष्य के लिए क्यों जरूरी है। योग के जरिये शरीर पर नियंत्रण कर न केवल व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है, बल्कि परमेश्वर को भी पा सकता है।


12 – भरत मुनि – ईसा उपरांत 200 में भरत मुनि ने संसार में पहली बार नाट्यशास्त्र की रचना की। उन्होंने भाव का अर्थ और प्रदर्शन स्पष्ट करके कला संसार को सशक्त किया। किया। अभिनय, नृत्य की दुनिया को उन्होंने बदलकर रख दिया।


13 – आर्यभट्ट – ईसा उपरांत 463-550 में हुए महान गणितज्ञ एक कुशल ज्योतिषी व खगोलशास्त्री भी थे। गणित में अनगिनत आविष्कार किए। बताया कि पृथ्वी घूम रही है, चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण कैसे होता है। शून्य का मार्ग प्रशस्त किया।


14 – आदि शंकराचार्य – ईसा उपरांत 788 से 820 के बीच संसार में रहे आदि शंकराचार्य सनातन धर्म को सुस्कारी और शास्त्र सम्मत दिशा में मोडक़र पुनर्जीवन दिया। चारों दिशाओं में धाम या तीरथ बनाकर भारत का एक धार्मिक ढांचा खड़ा किया।


15 – श्री रामानुजाचार्य – ईसा उपरांत 1017 से 1137 के बीच हुए महान रामानुजाचार्य ने ज्ञान और भक्ति मार्ग को सशक्त किया। उन्होंने विद्या के क्षेत्र में धर्म की शास्त्रीय महिमा को स्थापित किया, उनसे अनेक आचार्य प्रभावित होकर आगे बढ़े।


16 – श्री रामानंदाचार्य – 1400 से 1476 के बीच हुए रामानंदाचार्य ने सद्भाव को सशक्त बनाया। जात-पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजै से हरि का होई। सगुण-निर्गुण, दोनों ही धाराओं को आगे बढ़ाया, तो कबीर भी हुए और तुलसीदास भी।


17 – गुरु नानक – 1469 से 1539 के बीच हुए गुरु नानकदेव धार्मिक सद्भाव की राह को मजबूत किया। धर्म से जो घृणा फैल रही थी, देश जिस तरह से भटक रहा था, उसमें नानकदेव ने प्रेम और मेलमिलाप की राह पर चलने का आह्वान किया।


18 – गुरु गोविंद सिंह – 1666 से 1708 के बीच हुए गुरु गोविंद सिंह को भारत में भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने धर्म के तहत संत और सैनिक, दोनों ही रूपों को सशक्त बनाया। अपने धर्म की रक्षा करना सिखाया और सेवा को महानता प्रदान की।


19 – दयानंद सरस्वती – 1824 से 1883 के बीच हुए संत-समाज सुधारक दयानंद सरस्वती को हिन्दू धर्म को अंधविश्वास की जकड़ से निकालने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। देश सेवा के लिए पाखंड के विरुद्ध उन्होंने अपना आर्य समाज गठित किया।


20 – स्वामी विवेकानंद – 1863 से 1902 के बीच हुए स्वामी विवेकानंद को सनातन संस्कृति के आधुनिक जयघोष के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने धर्म पर खो रहे विश्वास को पुन: स्थापित करके दुनिया में हिन्दू जनमानस को झकझोर कर जगाया।


21 – स्वामी प्रभुपाद – 1896 से 1977 के बीच संसार में रहे भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद को संसार का सबसे विशाल सनातन भक्ति आंदोलन – हरेकृष्णा मूवमेंट के लिए हमेशा याद किया जाएगा। गूढ़ अध्यात्म को संगीत से जोडक़र भावविभोर कर दिया।


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