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Chait-Navratri - agaadhworld

शक्ति पूजा का पर्व – नवरात्र

भारतीय ज्ञान धारा में नवरात्र का विशेष महत्व है। वैसे तो हर रितु संधि काल में नवरात्र मनाया जाता है। कुल चार नवरात्र वर्ष भर में पड़ते हैं, इनमें दो नवरात्र धूमधाम से मनाए जाते हैं – चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्र से होती है। ऐसा माना जाता है कि महाशक्ति की प्रेरणा से आज ही के दिन भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी। इसी दिन से दुनिया में काल की गणना शुरू हुई थी।
भारतीय ज्ञान धारा में नवरात्र का संबंध नव दुर्गा से है। नव दुर्गा का संबंध शक्ति की नव देवियों से है। नव देवियों का संबंध नव शक्तियों से है। नव शक्तियाँ नव ग्रहों से जुड़ी हुई हैं। भारतीय चिंतन शक्ति की उपासना को बहुत महत्व देता है।

शक्ति की उपासना क्यों?

मनुष्य को अपने जीवन के लिए शक्ति चाहिए। हर काम के लिए शक्ति चाहिए। शक्ति के बिना जीवन और सृष्टि की कल्पना भी संभव नहीं है। शक्ति की पूजा किसी ईश्वर की उपासना से भी आगे की बात है। ईश्वर को आप चाहें तो कल्पना भी मान सकते हैं, लेकिन इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि शक्ति तो तब भी आपको मिलती रहेगी। शक्ति कोई भेद नहीं करती। जैसे सूर्य को आप ईश्वर न भी मानें, तो भी सूर्य से आपको पूरी ऊर्जा मिलती रहती है। हर हाल में आपको शक्ति चाहिए, तो शक्ति को मान-सम्मान देने में कोई हर्ज नहीं है। शक्ति के महत्व को विज्ञान भी मानता है। धर्म यह मानते हैं कि संसार को ईश्वर ने बनाया है, जबकि विज्ञान सृष्टि के निर्माण के लिए शक्ति को जिम्मेदार समझता है।

चैत्र और शारदीय नवरात्र के बीच अंतर

भारत में चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और सात्विक उपलब्धियों के लिए किया जाता है, जबकि शारदीय नवरात्र शक्ति व वैभव प्राप्त करने के लिए किया जाता है। चैत्र नवरात्र में ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करने की कामना की जाती है, जबकि शारदीय नवरात्र ईश्वरीय शक्ति की कृपा पाने के लिए है।

नवरात्र से क्या सीखा जाए?

1 – शक्ति का हर हाल में सकारात्मक  सम्मान करना चाहिए।
2 – हम सभी को अपनी शक्ति बढ़ाने की चेष्टा करना चाहिए।
3 – शक्ति का असम्मान और अपव्यय नहीं करना चाहिए।
4 – स्त्रियाँ भी शक्तियाँ हैं, इनका पूरा सम्मान करना चाहिए।
5 – सृष्टि और सृष्टि की तमाम शक्तियों का संरक्षण जरूरी है।
6 – धन शक्ति या ज्ञान शक्ति या तन शक्ति, सबको सहेजिए।
7 – अपना आचरण अच्छा रखिए, सबसे सद्भाव रखिए।
8 – केवल अपने नहीं, विश्व के कल्याण की प्रार्थना कीजिए।
9 – ईश्वर की शक्तियाँ भेदभाव नहीं करती, आप भी न करें।
10 – हमेशा अच्छी शक्तियों को बढ़ावा देने की कोशिश करें।

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