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Sarswati Pooja - agaadhworld

बसंत पंचमी क्यों है खास ?

भारतीय संस्कृति में बसंत पंचमी का अपना महत्व है। यह समय ऐसा होता है, जब ठंड कम हो रही होती है और बागों में फूलों की बहार होती है। सरसों के भी खिलने का मौसम होता है। बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है, वैसे यह भारतीय संवत् कलेंडर के अनुसार, बसंत पंचमी का दिन माघ शुक्ल पंचमी पर पड़ता है। बसंत ऋतु पर प्रकृति और मानव स्वभाव की सुंदरता देखती है। केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु व पक्षी भी बसंत ऋतु को अनुकूल मानते हैं। यह विचार, मंथन, निर्माण, प्रजनन का अनुकूल समय है।

बसंत पंचमी पहले था युवाओं का दिन

ऐसा अकसर कहा जाता है कि भारतीय संस्कृति में कोई युवा दिवस नहीं है, लेकिन यह सही नहीं है। इस संदर्भ में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। पहले भारतीय संस्कृति में इस दिन को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन बाद में जब अपसंस्कृति होने लगी और धार्मिक जागरण पर जोर दिया जाने लगा, तब इस दिन सरस्वती पूजा का विधान किया गया। एक समय आया, जब भारत में हर विद्यालय और कॉलेज में सरस्वती पूजन होने लगा। पूरे युवा छात्र-छात्राएं मिलजुलकर सरस्वती पूजन करने लगे।

देवी सरस्वती की पूजा

सरस्वती को भारतीय संस्कृति में विद्या की देवी माना जाता है। सरस्वती पूजन का विधान बहुत पुराना नहीं है, लेकिन आज भारत में प्रचलित जरूर हुई। हंस पर सवार देवी सरस्वती के हाथों में वीणा होती है, उन्हें ज्ञान के सभी पक्षों का प्रभारी माना जाता है। सरस्वती का अवतार ब्रह्मा जी की कृपा से हुआ था। सरस्वती के पूजन में रंग-अबीर का उपयोग शुरू हो जाता है। भारत में बसंत पंचमी से रंग पंचमी तक रंगों की बहार होती है। इसी बीच में होली का अवसर भी आता है। जब भारत में सबसे बड़ा लोकोत्सव होली बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में यह समय विभिन्न प्रकार के अन्न के घर आने और तरह-तरह के पकवानों के भोग का है।

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