Shab-e-barat
शब-ए-बरात
जागो… अपने लिए जागो
इस्लामी चिंतन-जीवन में शब-ए-बरात का बहुत महत्व है, यह एक ऐसा उत्सव-त्यौहार है, जो जीवन को श्रेष्ठता की ओर ले जाता है। हिजरी कलेंडर के अनुसार, शबान महीने में 14वीं और 15वीं तारीख के दरम्यान जो रात होती है – शब-ए-बरात मनाया जाता है। यह हर मुसलमान के लिए जागने की रात है। अपनी बेहतरी के लिए जागने की रात। रहम और फैसले की रात। अल्लाह के सामने अपने गुनाह कुबूल करने की रात। अपने लिए दिल से दुआ करने की रात।
मान्यता है कि यह वह रात है, जब अगले वर्ष की आपकी जिंदगी के मुकाम तय होते हैं। अल्लाह आपके अगले वर्ष के घटनाक्रम तय करता है। यह रात बहुत धूमधाम से जागते हुए दुआ करते हुए बिताई जाती है। यकीन है कि जब दिल से दुआ की जाती है, तो इस दिन अल्लाह अपने पाक बंदों के गुनाह माफ कर देता है और किस्मत में खुशियां लिख देता है। गुनाह माफ न हों, तो किस्मत में दुख लिखे जाते हैं। तो यह एक तरह से खुद को सुधारने और बेहतर बनाने की रात है। खुदा के सामने खुद को अच्छा इंसान, अच्छी औलाद सिद्ध करना होता है।
पूर्वजों को याद करने की रात
शब-ए-बारात से पहले ही पूर्वजों को याद करने का दौर शुरू हो जाता है। सभी अपने परिजनों की कब्रों की सफाई के लिए जाते हैं। कब्र, मजार पर बहुत सम्मान के साथ जाना होता है। वहां आप केवल गंदगी हटाते हैं, कब्र को साफ सुथरा करते हैं। गौर कीजिए, कब्र से घास हटाना, पेड़-पौधे हटाना मना है। घास से और पेड़-पौधों से रौनक होती है, छांव होती है। पूर्वजों को याद करके उन्हें खुश करने की कोशिश होती है, जिन्होंने जिंदगी को आगे बढ़ाया है, जिन्होंने पाला-पोसा है, उनकी रहमत जरूरी है। पूर्वज खुश होंगे, तो खुदा को भी अच्छा लगेगा। वह रहमत बरसाएगा, किस्मत सुधारेगा, आने वाले वर्ष में जिंदगी को खुशियों से भर देगा।