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Shab-e-qadr - agaadhworld

Shab-e-qadr

शब-ए-कद्र

कद्र की रात – रमजान महीने की वह 27वीं रात जब दुनिया में क़ुरआन का अवतरण शुरू हुआ था। शक्ति की रात, सौभाग्य की रात, दृढ़ता की रात। इसे लिलत-ए-कद्र भी कहते हैं। इसी रात देवदूत जिबरैल ने मोहम्मद साहब को विधिवत पैगंबर बनाया। पैगंबर साहब रसूलुल्लाह तब 40 वर्ष के थे। इस खास रात से शुरू करके आने वाले 23 वर्ष तक क़ुरआन का अवतरण जारी रहा।
इस्लाम में एक विचारधारा यह कहती है कि क़ुरआन का अवतरण इसी रात हुआ था। देवदूत जिबरैल ने एक ही बार में इसी रात रसूलुल्लाह मोहम्मद साहब को पूरे क़ुरआन का दर्शन-अध्ययन करवा दिया था। इस नाते भी इस रात या इस शब का खास महत्व है। एक अन्य विचारधारा यह कहती है कि क़ुरआन का अवतरण एक-एक आयत करते हुए हुआ। देवदूत ने रसूलुल्लाह को एक-एक आयत सुनाया, जिसे रसूलुल्लाह ने अपने सगे-साथियों-चाहने वालों को सुनाया। और फिर क़ुरआन को लिखने का कार्य हुआ। रमजान की यह खास रात इबादत की रात है।

हालांकि शब-ए-कद्र की तारीख क़ुरआन में दर्ज नहीं है, अत: इस्लाम में अलग-अलग मत हैं। कई विद्वानों का मत है कि रमजान के 23वें दिन ही क़ुरआन का अवतरण शुरू हुआ था।


कहां हुआ क़ुरआन का अवतरण ?

सऊदी अरब के रेगिस्तानी इलाके मक्का के नूर पहाड़ पर हिरा नाम की गुफा में क़ुरआन का अवतरण शुरू हुआ था। नूर पहाड़ अर्थात रोशनी का पहाड़ देखने से ऐसा लगता है कि एक पर एक दो पहाड़ रखे हों। इस पहाड़ पर न पानी है और न कोई पौधा। इसी जगह सूनसान में हिरा गुफा है, जहां पहुंचने के लिए 1200 कदम चलना और चढऩा पड़ता है। इस गुफा की लंबाई 12 फीट है और चौड़ाई 5.3 फीट है। यहां पैगंबर साहब का काफी समय ध्यान करते बीता था। यहीं उनकी मुलाकात देवदूत से हुई और यहीं उन्हें पैगंबर या रसूल होने का ज्ञान हुआ। ऐसा बताया जाता है कि इस जगह को देखने प्रतिदिन लगभग 5000 लोग आते हैं।


कौन-सी आयत पहले उतरी?

ऐसा बताया जाता है कि सुरा अल-अलक की पांच आयतों का अवतरण सबसे पहले हुआ। देवदूत जिबरैल ने पैगंबर मोहम्मद को फरमाया या सुनाया। हालांकि सुरा अल-अलक में कुल 19 आयतें हैं – इनमें से पहली पांच आयतों का भावार्थ देखिए –
आयत 1 – पढ़ो, अपने रब के नाम के साथ जिसने पैदा किया…
आयत 2 – पैदा किया मनुष्य को जमे हुए खून के एक लोथड़े से…
आयत 3 – पढ़ो, हाल यह है कि तुम्हारा रब बड़ा ही उदार है…
आयत 4 – जिसने कलम के द्वारा शिक्षा दी…
आयत 5 – मनुष्य को वह ज्ञान प्रदान किया, जिसे वह न जानता था…

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