Warning: "continue" targeting switch is equivalent to "break". Did you mean to use "continue 2"? in /home3/agaadhworld/public_html/wp-includes/pomo/plural-forms.php on line 210

Warning: session_start(): Cannot start session when headers already sent in /home3/agaadhworld/public_html/wp-content/plugins/cm-answers/lib/controllers/BaseController.php on line 51
दुनिया में कितने अवतार या पैगंबर हुए हैं? - agaadhworld

दुनिया में कितने अवतार या पैगंबर हुए हैं?

दुनिया में कितने अवतार या पैगंबर हुए हैं?

भाग – 1

लेखक : अगाध

 
 
मुख्य रूप से अवतार या पैगंबर परंपरा की दो धाराएं संसार में मिलती हैं। मोटे तौर, एक परंपरा की भूमि भारत है, तो दूसरी परंपरा की भूमि अरब है। अवतार की भारतीय परंपरा को ज्यादा पुरानी माना जा सकता है, लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा पौराणिक है। भारतीय परंपरा में दस अवतार का वर्णन है, जिसमें से नौ अवतार हो चुके हैं और दसवां अवतार संभावित या कल्पित है।

सृष्टि में पृथ्वी पर जीवन के विकास के साथ इन अवतारों को देखा जा सकता है। जहां विष्णु भगवान पहला अवतार जल में मछली के रूप में लेते हैं, वहीं इस्लाम धर्म भी इस बात को मानता है कि सृष्टि जल से उत्पन्न हुई है। लगभग सभी धर्म इस बात को मानते हैं कि जब पाप बढ़ जाता है, तब ईश्वर अवतार लेते हैं या अपना दूत भेजते हैं, ताकि पृथ्वी की व्यवस्था को फिर ठीक किया जा सके।


 
1 – मत्स्य अवतार

जब-जब सृष्टि पर खतरा मंडराता है ईश्वर अवतार लेते हैं। जब प्रलय हुई, तो मछली रूपी भगवान ने सृष्टि के तमाम उन तत्वों को बचाया, जो नई सृष्टि या पृथ्वी के लिए जरूरी थे। नए संसार के लिए जल और जीवन को बचाया और उसका शोधन किया। भागवत पुराण, विष्णु पुराण और मत्स्य पुराण में इसका वर्णन देखा जा सकता है।


 
2 – कच्छप अवतार

सृष्टि को आगे चलाने के लिए समुद्र मंथन जरूरी था। देव और दानव ने मिलकर एक पहाड़ की मदद से समुद्र को मथना शुरू किया, लेकिन वह पहाड़ डूबने लगा। तब ईश्वर ने विशाल कछुए या कच्छप के रूप में अवतार लिया और डूबते पहाड़ को पीठ पर उठाए रखा, ताकि मंथन न रुके। कूर्म पुराण या पद्म पुराण में इसका वर्णन देखा जा सकता है।


 
3 – वाराह अवतार

एक कथा के अनुसार, सृष्टि में एक समय आया, जब विशाल सागर के भीतर रहने में सक्षम दैत्य या शैतान हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को अपना तकिया बना लिया और देवताओं को दूर रखने के लिए विष्ठा या मल का घेरा बना लिया। तब ईश्वर ने वाराह या शूकर अवतार लिया और पृथ्वी की रक्षा की। वाराह पुराण में इसका वर्णन पढ़ा जा सकता है।


 
4 – नरसिंह अवतार

दैत्य हिरण्याक्ष का ही भाई था हिरण्यकश्यप। हिरण्यकश्यप ईश्वर विरोधी था और अपने ईश्वर प्रेमी पुत्र प्रह्लाद को भक्ति से रोकता था। हिरण्यकश्यप अपने ही पुत्र प्रह्लाद को मारने पर तुल गया, तब ईश्वर ने नरसिंह अवतार लिया। नर का शरीर-सिंह का सिर। प्रह्लाद की रक्षा हुई। इस अवतार को अनेक पुराणों में पढ़ा जा सकता है।


 
5 – वामन अवतार

एक समय दैत्य या असुर बलि बहुत शक्तिशाली राजा बन गया। देवता संकट में पड़ गए। जब आतंक बहुत ज्यादा हो गया, तब भगवान ने वामन या बौने ब्राह्मण का अवतार लिया और राजा बलि से दान में तीन कदम जमीन मांगी। अपने शरीर को विशालकाय बनाया, पूर्ण धरती-गगन नाप दिया, बलि को पाताल भेज दिया। सृष्टि की रक्षा हुई।


 
6 – परशुराम अवतार

यह पहला ऐसा अवतार था, जब भगवान का स्वरूप सामान्य मानव की तरह था। शासक वर्ग में अत्यधिक अहंकार के कारण जब धर्म की हानि होने लगी और पृथ्वी संकट में पड़ गई, तब ईश्वर ने परशुराम अवतार लिया। हाथ में फरसा और अस्त्र-शस्त्र लेकर उन्होंने ऐसे लोगों का अंत किया, जो धर्म और प्रकृति विरुद्ध आचरण कर रहे थे।


 
7 – राम अवतार

परशुराम जी के उग्र अवतार के बाद भगवान ने मर्यादाओं की स्थापना के लिए, रावण जैसे राक्षसों का अंत करने के लिए मानव रूप में अवतार लिया। इस अवतार में ईश्वर का स्वरूप मर्यादापुरुषोत्तम का था। एक मनुष्य और एक राजा का आदर्श। यह सृष्टि में ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ मानवीय रूप था। दुनिया में राम को सब जानते हैं।


 
8 – कृष्ण अवतार

धरती पर जब पाप का बोझ बढ़ गया, आबादी बहुत बढ़ गई, शांति खंडित होने लगी, धर्म पर से विश्वास हिलने लगा, तब ईश्वर ने कृष्ण रूप में जन्म लिया। जन्म लेने के पहले से ही नाना प्रकार की लोक लुभावन लीलाएं कीं। रसिया थे और छलिया भी। गीता के माध्यम से भी। उन्हें पूरी दुनिया गीता के माध्यम से जानती है।


 
9 – बुद्ध अवतार

जब कर्मकांड बहुत बढ़ गया, जब समाज में धर्म के नाम पर हिंसा की प्रबलता हो गई, जब धर्म पर से लोगों को विश्वास उठने लगा, जब लोग भटकने लगे, तब गौतम बुद्ध का अवतार हुआ। बुद्ध ने पूरी दुनिया को अहिंसा, शांति और संयम का मार्ग दिखाया। वे बौद्ध मत या धर्म के प्रवर्तक हैं, लेकिन हिन्दू उन्हें नौवां अवतार मानते हैं।


 
10 – कल्कि अवतार
ईश्वर कलयुग के अंत में कल्कि के रूप में जन्म लेंगे और दुष्टों का संहार करेंगे, ऐसा रचित या कल्पित है। हिन्दू धर्म के कुछ पुराण यहां तक बताते हैं कि कल्कि का जन्म कहां होगा, उनका क्या रूप होगा, वे क्यों जन्म लेंगे और उनका उद्देश्य क्या होगा। हिन्दू परंपरा में यह माना जाता है कि जब विष्णु अवतार लेते थे, तब उनके साथ ही अनेक देवताओं और ईश्वर स्वरूपों का अंशावतार होता था। राम अवतार जब हुआ, तो उनके साथ अनेक दिव्य आत्माएं जन्मीं। सीता को भी राम अवतार का ही अंग माना गया है। जैसे राधा जी को कृष्ण अवतार का ही एक हिस्सा माना गया है। कई ऋषि कृष्ण का ईश्वर सान्निध्य पाने के लिए गोपी रूप में जन्मे और लीलाओं में भाग लिया। कुल मिलाकर हिन्दू परंपरा में कोई भी अवतार अकेला नहीं होता, उसके साथ अवतारों का एक पूरा समूह पृथ्वी पर आता है और अपने कार्य पूरे करता है। क्रमश:

Leave a Reply

Your email address will not be published.