सर्व संत और सर्व आत्मा दिवस / ऑल सेंट एंड ऑल सोल्स डे
ईसाई कैथोलिक धारा में इस दिन का बहुत विशेष महत्व है। यह एक तरह से तीन दिन का उत्सव होता है, जब दिवंगत लोगों की आत्माओं को याद किया जाता है, दिवंगत संतों की आत्माओं को याद किया जाता है, सम्मान दिया जाता है। यह एक तरह से पूर्वजों को सम्मान देने का दिन है। उन लोगों को सम्मान देने का दिन है, जो अब हमारे बीच नहीं हैं। ईसाई धर्म भी मानता है कि आत्माएं होती हैं, वे कब्र या यहां-वहां विचरण करती हैं। वे कयामत के दिन का इंतजार करती हैं, ताकि उनका फैसला हो। इन उत्सवों को हेलोवीन भी कहते हैं। हेलो का अर्थ पवित्र भी होता है। ये दिन पवित्रात्माओं के लिए हैं, उन आत्माओं के लिए भी हैं, जो पवित्र होने की प्रक्रिया में हैं। ईसाई धर्म में यह माना जाता है कि ईसा मसीह को मानने वाला हर आदमी जीते जी जरूरी नहीं कि संत हो जाए या संत का दर्जा पा जाए, किन्तु मृत्यु के बाद यह मान लिया जाता है कि दुनिया से जाने वाला महान आत्मा था। ईसाई धर्म में कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि मृत्यु के बाद हर ईसाई संत के दर्जे में चला जाता है, उसका सम्मान होना चाहिए, उसे याद किया जाना चाहिए, उसके लिए प्रार्थना होनी चाहिए। हेलोवीन के ये तीन दिन इन्हीं पवित्रात्माओं को याद करने के लिए हैं। इन दिनों में बच्चे संत वेष धारण करते हैं, तरह-तरह के विशेष पकवान या केक बनते हैं, जिन्हें फूड ऑफ सोल्स भी कहा जाता है। केक पर विशेष आकृति बनाई जाती है, ताकि आत्माएं अपने भोजन को पहचान सकें। हेलोवीन के तीन दिन इस प्रकार से मनाए जाते हैं।
पहला दिन – ऑल हेलोज इव
अर्थात पवित्रात्मा स्मरण की पूर्व संध्या। यह माना जाता है कि इस शाम सभी दिवंगतों की आत्माएं उठ जाती हैं। उन आत्माओं के सम्मान में पहले लोग घरों से नहीं निकलते थे, घर में ही रहकर उनके लिए प्रार्थना करते थे। इस दिन युवा लोग तरह-तरह के छद्म वेष धारण करके खुशी का इजहार करते हैं। ऐसा कतई नहीं है कि यह दिन भूतहा दिन हो, यह दिन पवित्र माना गया है। ईसाई धर्म में माना गया है कि आत्माएं इस दिन किसी का बुरा नहीं करतीं, वे केवल जागती हैं और उन्हें जागने पर यह दिखना चाहिए कि उनके वंशज उन्हें याद कर रहे हैं, उन्हें दुनिया ने भुलाया नहीं है। इस दिन तरह-तरह की तंत्र क्रियाएं भी होती हैं।
दूसरा दिन – ऑल सेंट डे
अर्थात सर्व संत दिवस। इस दिन ईसाई धर्म में हुए संतों को विशेष रूप से याद किया जाता है। ईसाई धर्म में सभी लोगों को चर्च ने भले ही संत का दर्जा नहीं दिया हो, लेकिन ऐसे अच्छे लोगों की कमी नहीं रही है, जिनके दिवंगत होने के बाद यह मान लिया गया कि वे जन्नत के हकदार हैं, वे संत जैसे हैं। हर ईसाई अपने प्रिय पूर्वजों को संत जैसा ही मानते हुए उनके लिए प्रार्थना करता है। उनकी कब्र पर जाता है, कब्र सजाता है। मोमबत्ती जलाता है, उन्हें प्रिय वस्तु समर्पित करता है। ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद सभी अच्छे ईसाई देवपुत्र ईसा मसीह के साथ ही जन्नत में रहते हैं, इसलिए उन्हें सम्मान देना चाहिए।
तीसरा दिन – ऑल सोल्स डे
अर्थात सर्व आत्मा दिवस। यह दिन भी ईसाइयों के लिए विशेष महत्व का है। इस दिन भी सभी आत्माओं के लिए व्यक्तिगत और समूह रूप में प्रार्थना की जाती है। व्यक्ति की जब मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा तत्काल परिष्कृत नहीं हो पाती। ऐसा माना जाता है कि जो आत्माएं परिष्कृत नहीं हुई थीं, जो आत्माएं संत या उच्चता के दर्जे पर नहीं पहुंची थीं, जो आत्माएं इंतजार में थीं कि उन्हें भी सम्मान मिले, उन्हें इस दिन चर्च के द्वारा राहत मिलती है। सर्व आत्मा दिवस पर यह मान लिया जाता है कि प्रतिक्षारत सभी आत्माएं उच्च स्तर या मुक्ति या मोक्ष को प्राप्त हो गई हैं। पूर्वजों के साथ उन्हें भी सम्मान मिलना चाहिए।