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Bodhi Day / बोधी दिवस - agaadhworld

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Bodhi Day / बोधी दिवस

सिद्धार्थ जब बुद्ध हुए

राजा के पुत्र सिद्धार्थ मानव जीवन के दु:खों का उपचार खोजने में लगे थे और उन्हें लंबी तपस्या, विचार-चिंतन के बाद बिहार राज्य के गया जिले के बोध गया नामक स्थान पर एक पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। यह दिन बोधी दिवस के नाम से जाना जाता है। इस दिन सिद्धार्थ का बुद्ध रूप में रूपांतरण हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि जब बुद्ध को ज्ञान हुआ, तब उनके शिष्य उनको छोडक़र जा चुके थे, और वे बुद्ध का चेहरा भी नहीं देखना चाहते थे, लेकिन एक बार जब शिष्यों ने पलटकर देखा, तो उन्हें बुद्ध की छवि के असाधारण होने का अहसास हुआ। फिर तो उनके साथ शिष्यों का काफिला चला, जो पूरी दुनिया में बौद्ध विचार के साफ फैल गया।
यह माना जाता है कि बुद्ध का जीवन ईसा पूर्व 480 से 400 तक रहा था, वे 80 वर्ष जीवित रहे थे। बुद्ध का जन्म लुंबिनी में हुआ था, उन्हें ज्ञान बोधगया में हुआ और उन्होंने पहला प्रवचन सारनाथ में दिया और उनका निर्वाण कुशीनगर में हुआ।

बुद्ध ने दिया ये ज्ञान ?

– दु:ख सनातन सत्य है। लगभग हर जगह दु:ख है।
– किसी न किसी कारण से मनुष्य को दुख होता है।
– मनुष्य दु:ख व उसके कारण का उपचार चाहता है।
– यह भी सत्य है कि दु:ख दूर करने का उपाय भी है।

दु:ख से बचने के आठ उपाय : जो बुद्ध ने बताए

1 – सम्यक दृष्टि : यह समझना चाहिए कि कोई भी दु:ख अकारण नहीं है।
2 – सम्यक संकल्प : जो कर्म करने लायक नहीं है, उसे नहीं करना चाहिए।
3 – सम्यक वचन : झूठ, चुगली, कड़वी बात और गप्प से बचना चाहिए।
4 – सम्यक कर्मान्त : कोई हिंसा, दुराचार नहीं करें, भोग की अति नहीं करें।
5 – सम्यक आजीव : ऐसा काम-रोजगार न करें, जिससे धर्म बिगड़ता हो।
6 – सम्यक व्यायाम : दोषरहित, अच्छे और निर्मल बनने का अभ्यास करें।
7 – सम्यक स्मृति : तन-मन की प्रवृत्ति जानें, वासना से बचें, ज्ञान बढ़ाएं।
8 – सम्यक समाधि : एकाग्र हों, स्वयं को जानें, सुख-दुख से ऊपर उठें।