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कैसे थे 23वें तीर्थंकर ? - agaadhworld

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पार्श्वनाथ जयंती

जैन परंपरा स्वयं को सनातन मानती है। दुनिया में भले ही भगवान महावीर के बाद से जैन धर्म का आधुनिक स्वरूप प्रकट हुआ, लेकिन भगवान महावीर जैन मत के प्रथम प्रवर्तक नहीं थे, उनके पहले जैन मत में 23 तीर्थंकर हो चुके थे। जैन परंपरा के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जैन दर्शन में विशेष स्थान है। इनका जीवनकाल ईसा पूर्व 877 से 777 तक माना जाता है। अर्थात इनका जीवन सौ वर्षों का रहा। आपने 30 वर्ष की आयु में घर छोड़ा और साधु हो गए, अर्थात इन्होंने अपने जीवन के करीब 70 वर्ष धर्म को समर्पित कर दिए। पार्श्वनाथ जी ने खूब यात्राएं कीं और जैन मत का खूब प्रचार किया।

वे अपने विरोधियों को तर्क और अपने व्यवहार से जीतते थे। आपकी मूल तपस्थली बनारस ही रही, जहां आपको ज्ञान हुआ, जहां से आपने प्रचार शुरू किया। आपका जन्म बनारस के राज परिवार में हुआ था और आपने सम्मेदशिखर की पहाडिय़ों में देह त्याग किया। आप तत्कालीन समाज में प्रचलित हो चुके गलत कर्मकाण्डों और यज्ञों व हिंसा के प्रबल विरोधी थे। यज्ञों के नाम पर होने वाली हिंसा से आप बहुत विचलित होते थे। उनका मानना था कि यह कैसी प्रथा है, जो यज्ञ या पूजन में जीव हत्या को सही मानती है। आपने अहिंसा के प्रचार में अपना पूरा जीवन लगा दिया। आपका हिन्दू धर्म पर भी गहरा असर देखा जाता है। आपने देश को प्रेम और अहिंसा का सही मार्ग दिखाया।

पार्श्वनाथ के 10 पूर्व जन्म

जैन मत आम तौर पर वेद, ईश्वर और पूर्व जन्म पर विशेष विचार नहीं करता, किन्तु पार्श्वनाथ के सम्बंध में जैन कथाओं में 10 जन्मों का उल्लेख मिलता है। ग्रंथों के अनुसार, तीर्थंकर होने से पहले पार्श्वनाथ जी ने 9 जन्म लिए थे। अपने पहले के अवतार में उन्होंने चार बार देवता का अवतार लिया और तीन बार राजा बने।
पहला जन्म – ब्राह्मण
दूसरा जन्म – हाथी
तीसरा जन्म – देवता
चौथा जन्म – राजा
पांचवां जन्म – देवता
छठा जन्म – चक्रवर्ती सम्राट
सातवां जन्म – देवता
आठवां जन्म – राजा
नौवां जन्म – देवराज इंद्र
दसवां जन्म – तीर्थंकर