गुड फ्राइडे
वह शुक्रवार… जब दुनिया जाग उठी
गुड फ्राइडे वह दिन है, जब ईसाई या क्रिश्चियन धर्म का सूर्य संसार में पूरी तरह प्रकाशित होकर निकला। जब एक नए उदार-दयावान धर्म की नई यात्रा शुरू हुई। जब दुनिया ने यह जाना कि प्रेम क्या होता है, जब दुनिया ने यह जाना कि क्षमा क्या होती है, जब दुनिया ने जाना कि मानव व्यवहार में चमत्कार कैसे संभव होता है। यह वह दिन था, जब जीसस या ईसा मसीह का मनुष्य स्वरूप… ईश्वर या ईश्वर पुत्र के स्वरूप में बदल गया। अरब की दुनिया पूरी तरह से अचंभित हुई। रोमन साम्राज्य ने ईसा मसीह को दंड देकर अपने अंत के दिन प्रशस्त कर लिए।
यह दिन गुड या शुभ इसलिए है, क्योंकि इस दिन ईसा मसीह का प्रेम व व्यवहार देखकर लोग जागे और आज भी जागे हुए हैं। यह ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन ईसा मसीह को तरह-तरह से यातनाएं देकर सूली पर चढ़ा दिया गया था और लगभग छह घंटे सूली पर रहने के उपरांत उन्होंने कहा था, ‘हे पिता, मैं अपनी आत्मा तुम्हें अर्पित करता हूं।’ लेकिन इस प्रसिद्ध वाक्य से पहले एक और प्रसिद्ध वाक्य भी है, ईसा ने लाख यातनाएं सहकर भी यही प्रार्थना की – ‘हे ईश्वर, इन्हें क्षमा करना इन्हें पता नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं।’
ईसा मसीह से जुड़े सवाल ?
सवाल – क्यों चढ़े सूली पर ?
जवाब – दुनिया को दिखाना था कि विपरीत हालात में भी प्रेम और क्षमा का साथ न छोडऩा।
सवाल – ईसा क्या चाहते थे?
जवाब – अच्छाई के लिए कुर्बान हो जाओ, बोलो मत, शिकायत मत करो, अच्छाई की राह पर खुद जीकर दुनिया और ईश्वर को दिखाओ।
सवाल – उन पर क्या आरोप लगा ?
जवाब – रोमन साम्राज्य ने उनके प्रचार को अपने धर्म के विरुद्ध माना। आरोप था कि ईसा ने स्वयं को ईश्वर का पुत्र कहा। आरोप था कि उन्होंने कहा, दुनिया में मेरे परमपिता ईश्वर की सत्ता होगी।
सवाल – क्या उन्हें पता नहीं था कि वे जो प्रचार कर रहे हैं, वह राजसत्ता को मंजूर नहीं है?
जवाब – ईसा को अहसास हो गया था कि वे पकड़े जा सकते हैं, लेकिन वे निडर थे। उनके शिष्य सावधान थे।
सवाल – ईसा को कैसे पकड़ा गया?
जवाब – ईसा को धोखे से ही पकड़ा गया, यह धोखा उनके एक पट शिष्य जुडस ने दिया था।
सवाल – ईसा को कांटे का मुकुट क्यों पहनाया गया?
जवाब – ताकि उन्हें कष्ट दिया जा सके, ताकि ईश्वर पुत्र होने के दावे का मजाक बनाया जा सके।
सवाल – क्या वे अपना सलीब ढोकर ले गए थे?
जवाब – तब जिसे मौत की सजा मिलती थी, वह लकड़ी का भारी सलीब खुद कंधे पर उठाकर ले जाता था।
सवाल – और उन्हें क्या यातनाएं दी गईं?
जवाब – उन्हें कोड़ों से पीटा गया। उन थूका गया, तरह-तरह से पीडि़त किया गया।
सवाल – सलीब पर कैसे चढ़ाए गए?
जवाब – कहा जाता है कि पहले क्रॉस सलीब से सटाकर दोनों हाथों पर कीलें ठोंकी गईं और फिर पैरों में कीलें ठोंकी गईं और सलीब को सीधा खड़ा कर दिया गया। ईसा सलीब पर जीवित ही लटके रहे।
सवाल – सलीब पर ठोंकने-लटकाने के बाद क्या हुआ?
जवाब – अथाह पीड़ा से वे छह घंटे जूझते रहे। चेहरे पर शांत भाव, धीरे-धीरे शरीर को उन्होंने स्थिर किया, वे जानते थे कि उनके हिलने से उन्हें ही कष्ट होगा।
सवाल – सलीब पर लटक कर उन्होंने क्या कहा?
जवाब – हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना, इन्हें पता नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं?
सवाल – ईसा के प्राण कैसे निकले?
जवाब – अथाह पीड़ा सहने के बाद उन्होंने यह कहते हुए प्राण छोड़ दिए – ‘हे पिता, मैं अपनी आत्मा तुम्हें अर्पित करता हूं।’
सवाल – उनके शरीर का क्या हुआ?
जवाब – कब्र में दफन कर दिया गया, लेकिन तीसरे दिन वह शरीर कब्र में नहीं था।
सवाल – क्या ईसा फिर जीवित हो गए थे?
जवाब – हां, वे शुक्रवार को मृत्यु के उपरांत रविवार को जीवित हो गए थे या उनके शिष्यों ने उन्हें देखा था। इस दिन बड़े ही धूमधाम से इस्टर मनाया जाता है।
सवाल – ईसा अपने शिष्यों के लिए क्या छोड़ गए?
जवाब – ईसा ने शिष्यों से कहा था कि मैं तुम्हारे लिए अपना आनंद छोड़े जा रहा हूं। यह आनंद लेकर उनके बारह शिष्य बारह दिशाओं में चले गए। वे अनायास आनंदित रहते थे और लोग उन्हें देखकर ही आनंदित हो जाते थे। शिष्यों ने भी अथाह यातनाएं झेलीं, लेकिन उनका आनंद ही ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में सहायक बना। वे सभी प्रेम और क्षमा से भरे हुए थे।
सवाल – ईसा को जब सूली पर चढ़ाया गया, तब उनकी उम्र कितनी थी?
जवाब – उनकी कुल उम्र 33 या 36 वर्ष ही थी।
सवाल – वह कौन-सा वर्ष था?
जवाब – ईस्वी सन 33 या ईस्वी सन 34 था।
सवाल – ईसा पर अत्याचार करने वाले रोमन साम्राज्य का क्या हुआ?
जवाब – ईसा संसार से विदा होने के बाद करीब 280 वर्ष तक ईसाई धर्म को खतरे झेलने पड़े, लेकिन वह दिन भी आया, जब ईस्वी सन 380 में रोमन साम्राज्य ने ईसाई धर्म को अपना लिया।