हज की शुरुआत
Wednesday, 30 अगस्त 2017
हज का मुबारक मौका
हर एक मुसलमान का एक सपना होता है कि एक बार हज कर आए। हज अर्थात इस्लाम में सर्वोच्च धार्मिक कृत्य। कहते हैं कि पांच वक्त की नमाज घर और आस पड़ोस के लोगों के साथ के लिए है। शुक्रवार-जुम्मे की नमाज अपने क्षेत्र, कॉलोनी इत्यादि के लोगों के लिए है, ईद की नमाज पूरा शहर साथ पढ़ता है और हज पूरे दुनिया के मुसलमान एक जगह जुटकर करते हैं।
हज का शाब्दिक अर्थ इरादा है। सबके मालिक अल्लाह के प्रति समर्पण का इरादा, अल्लाह के बताए मार्ग पर चलने का। अपना यकीन पक्का करना का इरादा। अल्लाह को याद करने और उसका शुक्रिया अदा करने का इरादा। बुराई को छोडऩे और अच्छाई पर चलने का इरादा। हज के बारे में कहा जाता है कि अल्लाह जिसके हज को कुबूल कर लेता है, वह हाजी जिंदगी में फिर कभी कोई गलत काम नहीं करता। इसलामी एकता दिखाने का इरादा।
हज अल्लाह को याद करने, उन्हें सम्मान देने की पाक प्रक्रिया है, इसमें कई रीति-रिवाज निभाने पड़ते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल एक दिन के लिए गए और हज पूरा कर आए। इस पूरी प्रक्रिया में पांच-छह दिन लगते हैं। इस बार हज के लिए दुनिया भर से करीब 20 लाख मुसलमान मक्का में जुटे हैं।