क्यों ज्ञान से बड़ा है प्रेम?
राधाष्टमी – राधा जी की जयंती
क्यों ज्ञान से बड़ा है प्रेम?
ज्ञान तो तर्क और तथ्य से बदलता रहता है, लेकिन निश्छल प्रेम कभी नहीं बदलता। प्रेम का जो आवेग होता है, उसे तर्क या तथ्य से खत्म नहीं किया जा सकता। वृहस्पति के शिष्य उद्धव गए थे ब्रज में राधा और गोपियों को समझाने कि प्रेम में मोह-शोक तो मूर्ख करते हैं। किसी शरीर में क्या रखा है, कृष्ण के इंतजार में क्या रखा है, निराकार भगवान की आराधना करो, मोक्ष या सच्चा सुख प्राप्त होगा। किन्तु गोपियां नहीं मानीं, उन्होंने कहा कि जिस ईश्वर को हमने गाय चराते, मुरली बजाते, शरारत करते अपनी आंखों से देखा है, उसे हम कैसे भूल जाएं। हमें तो अपना यही नटखट भगवान चाहिए। ये बताओ कि वो कब आएंगे… कब लौटेंगे। उद्धव के ज्ञान पर प्रेम की बारिश हो गई और उन्होंने तत्काल ही राधे-राधे गाना शुरू कर दिया। आज भी राधा को कोई नहीं भूला है और न भूलेगा। संसार में प्रेम बड़ा है और बड़ा रहेगा।