Onam
ओणम : खुशहाली, स्वागत और निर्माण का महोत्सव
भारत के केरल प्रांत में ओणम का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार धार्मिक कारणों से ही नहीं, आर्थिक और सामाजिक कारणों से भी मनाया जाता है। यह ईश्वर को याद करने, प्रार्थना-पूजा करने, घर-द्वार-ग्राम-नगर सजाने, तरह-तरह के व्यंजन भगवान को भोग लगाने और प्रसाद पाने, उत्सव मनाने और शोभा यात्रा निकालने का पावन दिन है। ओणम आदिकाल से मनाया जा रहा है। केरल ही नहीं, दुनिया में जहां भी केरलवासी रहते हैं, वहां ओणम बहुत भक्ति-भाव के साथ मनाया जाता है। भारत में दीपावली का महोत्सव पांच दिन का होता है और ओणम 10 दिन चलता है। विष्णु के पांचवे अवतार वामन अवतार और छठवें अवतार परशुराम जी से ओणम त्यौहार जुड़ा हुआ है।
ओणम मनाने का सामाजिक-आर्थिक कारण
केरल धरती पर स्वर्ग-समान स्थानों में शामिल है। केरल हरियाली और प्रकृति की खुशहाली का स्वर्ग है। कृषि आदिकाल से ही केरल की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। यहां धरती फसल-उपज के रूप में सोना उगलती है। सावन की बारिश के समय अच्छी लहलहाती फसल लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर देती है। अच्छी फसल की खुशी में लोग ओणम मनाते हैं और ईश्वर के प्रति आभार प्रदर्शित करते हैं। इस त्यौहार के दौरान केरल की आर्थिक-सामाजिक मजबूती स्पष्ट रूप से उभरकर दुनिया के सामने आ जाती है। केरल पूरी दुनिया को प्रेरित करता है।
राजा बलि के स्वागत में ओणम
बताया जाता है कि महाबलि जब अपनी धरती पर आते हैं, तो केरल में ओणम मनाया जाता है। वे जब आते हैं, तो बारिश के इस मौसम में सजी-धजी धरती को देखते हैं, लोगों को देखते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इस दिन केरल में महाबलि और वामन विष्णु का रूप धरकर बच्चे व लोग घूमते देखे जाते हैं।