रामसीता विवाह उत्सव

राम ने सीता को क्यों त्यागा, ये हैं 11 कारण   

कारण 1 – मानव स्वभाव बहुत निर्मम होता है। उसे निंदा में बहुत रस आता है, अयोध्या के लोग सीता के चरित्र में दबी जुबान में उंगली उठाते रहते थे। राम को यह अच्छा नहीं लगता था, वह ऐसी चर्चाओं से सीता को दूर रखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सीता का भौतिक रूप से त्याग किया।

कारण – 2 – राजा पूर्ण रूप से प्रजा के लिए होता है, राजा का व्यक्तिगत सुख कोई मायने नहीं रखता। लोग भी यह उम्मीद करते हैं कि राजा सामान्य लोगों से ऊपर रहते हुए आचरण करे। अपनी पत्नी की सेवा की बजाय प्रजा की सेवा करना राजा का पहला कर्तव्य है।

कारण – 3 – राम अपनी पत्नी से अथाह प्रेम करते थे, इसलिए उन्होंने ऐसा उपाय किया कि संसार कभी भी उनकी सीता पर उंगली न उठाए। सच है आज पूरी दुनिया राम को कोसती है, कोई भी सीता को कुछ नहीं कहता, राम यही चाहते थे। यही सच्चा प्यार है, जहां अपना कोई स्वार्थ नहीं।

कारण – 4 – राम अनर्गल अफवाह फैलाने वालों को दंड भी दे सकते थे, लेकिन वे जानते थे कि ऐसा करने से अफवाह को ही बल मिलेगा। राज्य और परिवार में माहौल खराब होगा। इसलिए उन्होंने त्याग करते हुए ऐसा स्थायी उपाय किया कि अफवाह ही निर्मूल हो जाए।

कारण – 5 – लोग यह भूल जाते हैं कि वास्तव में विवाह का अर्थ पति-पत्नी का परस्पर प्रेम, समागम मात्र नहीं है, विवाह जगत के कल्याण के लिए किया जाता है। परस्पर साथ रहना ही विवाह की एकमात्र सफलता नहीं है। अपने धर्म- कर्तव्य पथ पर निरंतर चलना ही सच्ची सफलता है।

कारण – 6 – राम विष्णु का अवतार थे और सीता उनका ही एक अंग थीं, यह अवतार मर्यादाओं की स्थापना के लिए हुआ था। लोगों को यह देखना चाहिए कि स्वयं उन्हें क्या मिला, कैसा आदर्श मिला। लोगों का यह देखना बिल्कुल गलत है कि राम या सीता को उनके जीवन में क्या मिला।

कारण – 7 – यह भी कहा जाता है कि सीता को राम का तपस्वी रूप ज्यादा अच्छा लगता था और वह चाहती थीं कि उनकी संतानें तपस्वी रूप में ही संसार के सामने आएं। इसके लिए उन्होंने स्वयं ही वाल्मीकि आश्रम का चयन किया था, जहां उनके पुत्र जन्मे, पले-बढ़े और सशक्त हुए।

कारण – 8 – बेशक, राम भी रोए होंगे और सीता भी रोई होंगी। दोनों ने अकेले रहते बहुत दुख देखे होंगे, लेकिन पता था कि राम का जीवन जगत कल्याण के लिए है, तो दूसरी ओर, सीता जी को पता था कि वन में रहकर उन्हें रामराज्य चलाने के लिए सक्षम उत्तराधिकारी तैयार करने हैं।

कारण – 9 – राम ने वनवासियों और नगरवासियों के बीच दूरी को वनवास के दौरान अच्छे से देखा था। वे नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे भी उनकी तरह नगरवासी रहते हुए वनवासियों के भी राजा बनें, वे चाहते थे कि वनवासियों को भी पता हो कि वन भी नगर को राजा देने में सक्षम हैं।

कारण – 10 – सीता कोई साधारण महिला नहीं थीं, उनके समर्थक और पूजक तब भी थे, उनके पिता धर्म के प्रतीक राजा जनक थे, तो सीता के साथ अन्याय-अत्याचार संभव नहीं था। इसलिए यह मानने में कोई हर्ज नहीं कि सीता का दूसरा वनवास उनकी ही इच्छा या सहमति से हुआ था।

कारण – 11 – बताते हैं कि राम-सीता के बड़े पुत्र कुश राजा बने, उनकी वंशावली मिलती है, जबकि लव के बारे में एक मत है कि वे ऋषि होकर वन चले गए। राम और सीता ने सिद्ध कर दिया था कि रामराज्य का आधार केवल राजा नहीं होंगे, ऋषि भी होंगे। दोनों भाई-भाई सहोदर।


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