रामसीता विवाह उत्सव 

हनुमान के हृदय में सीता-राम  

कथा है कि एक बार प्रश्न उठा या कहा जाता है कि एक बार सीता जी ने राम जी से प्रश्न किया था कि हनुमान के हृदय में कौन विराजता है। हनुमान को जब आदेश हुआ, तो उन्होंने अपना हृदय चीर का दिखा दिया था, वहां राम-सीता की जुगलजोड़ी विराजमान थी। हनुमान केवल राम के भक्त नहीं हैं, वे सीता के भी उतने ही बड़े भक्त हैं। हनुमान जी ने ज्ञान होने के बाद राम और सीता में कभी भेद नहीं किया। सीता-राम के सभी भक्तों के हृदय में ये जोड़ी रूप में ही विराजते हैं। इसलिए तुलसीदास ने राम जी के राजा बनने की कथा तो बड़े प्रेम से लिख दी, लेकिन जब उत्तर रामायण या राम और सीता के वियोग की कथा लिखने की बारी आई, तो वे पीछे हट गए। राम और सीता का जीवन प्रजा के लिए हुआ था। रामचरितमानस में राम और सीता के प्रेम की अनुपम कहानी है।


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